जबलपुर. हाई कोर्ट ने पीएससी प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा-2019 व प्रारंभिक परीक्षा-2020 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई बढ़ा दी है. मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने अगली सुनवाई तिथि 17 जनवरी निर्धारित की है.युगलपीठ के सदस्य न्यायाधीश पुरुषेंद्र कुमार कौरव पीएससी मामले में पूर्व में महाधिवक्ता रहते हुए राज्य शासन की ओर से पैरवी कर चुके हैं, अत: कोर्ट ने नई युगलपीठ के समक्ष अगली सुनवाई की व्यवस्था दे दी है.
कर्मचारी संगठन अपाक्स सहित 47 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें पीएससी के परीक्षा नियमों में संशोधन, प्रांरभिक व मुख्य परीक्षा-2019 व प्रांरभिक परीक्षा-2020 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि विवादित परीक्षा नियम में संशोधन को निरस्त करने की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है.वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्न्खा, अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि सरकार ने नियमों में संशोधन किया, लेकिन पीएससी परीक्षा 2019 के रिजल्ट संशोधित नियम लागू किए बिना पुराने नियमों के तहत ही घोषित कर दिए गए हैं.मंगलवार को सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता बीडी सिंह व हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा.
सरपंच के खिलाफ एफआइआर पर लगाई रोक
हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये सिवनी की जनपद पंचायत घंसौर की ग्राम पंचायत बिनौरी के सरपंच राधेश्याम टेकाम के खिलाफ एफआइआर पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने पंचायत राज विभाग के सचिव, संभागायुक्त जबलपुर, जिला पंचायत सिवनी के सीईओ, एसडीओ घंसौर को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.टेकाम की ओर से अधिवक्ता केके अग्निहोत्री ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि उपसरपंच ने राधेश्याम व तत्कालीन सचिव के खिलाफ शासकीय राशि के दुरुपयोग की शिकायत की थी. जांच में सुनवाई का अवसर दिए बिना आवेदक को दोषी बना दिया गया. इसके अलावा उनके खिलाफ वसूली का आदेश भी जारी कर दिया गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में आज भी मिले कोरोना के 210 संक्रमित..!
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