चंडीगढ़. किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में हाशिए पर चली गई बीजेपी में दोबारा नई ऊर्जा का संचार हुआ है. किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद बीजेपी ने खुद को सशक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस बात का अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि पंजाब में 117 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के 4 हजार से ज्यादा लोगों ने टिकट के आवेदन किया है.
कई कांग्रेस व अन्य दलों के बड़े नेता बीते दिनों कांग्रेस में शामिल हुए हैं. चुनाव को एक माह का समय रह गया है, बीजेपी भी चुनावी अखाड़े में अपने उम्मीदवार उतारने के लिए बिल्कुल तैयार है. पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 4020 लोगों ने टिकट का आवेदन कर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सबसे अधिक आवेदन सूबे की हिंदू बेल्ट दोआबा से आए हैं. जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, होशियारपुर, पठानकोट और मोहाली के शहरी क्षेत्रों में हिंदू ज्यादा हैं, यहां के शहरी क्षेत्रों से भी आवेदन करने वालों की संख्या अधिक है.
सूत्रों का कहना है कि प्राप्त हुए आवेदनों पर पहले बीजेपी की राज्य इकाई मंथन करेगी. आवेदनों की छंटनी करने के बाद उन्हें बीजेपी आलाकमान को भेजा जाएगा. बताया जा रहा है कि आवेदनकर्ताओं में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो किसान आंदोलन खत्म होने के बाद बीजेपी में शामिल हुए हैं. बीजेपी ने पहली बार पंजाब में कैप्टन अमरिंदर की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी के साथ 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
गौरतलब है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की, तो स्थिति अचानक इतनी बदल गई कि अब तक पंजाब में जो बीजेपी केवल हिंदू बहुल मानी जाती थी, वह अब राज्य में विधानसभा के लिए राजनीतिक केंद्र के मंच पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. चुनाव में अन्य दलों से लाए जा रहे सिख चेहरों की कोई कमी नहीं है.
यह सब एक तख्तापलट के साथ शुरू हुआ, जब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के एक लोकप्रिय सिख चेहरे मनजिंदर सिंह सिरसा, परमिंदर सिंह बराड़ के साथ पार्टी में शामिल हुए. इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को करीब एक हफ्ते पहले पार्टी में शामिल किया गया. कांग्रेस के दो मौजूदा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा और बलविंदर लाडी भी दिल्ली में पार्टी में शामिल हुए. यह पूर्व विधायकों और सांसदों सहित कई अन्य प्रमुख सिख चेहरों के अलावा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः इसलिए किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार ने सियासी हथियार डाल दिए थे?
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