प्रदीप द्विवेदी (16/12/2020).. कोई एक बार पीएम नरेंद्र मोदी के इरादों पर भरोसा कर भी ले, लेकिन उनके वादों पर कैसे भरोसा करे?
विरोधियों को छोड़िए, वे तो विरोध करेंगे ही, लेकिन मोदीजी, आप ही बताइए, आपने केन्द्र की सत्ता में आने से पहले क्या-क्या कहा था....
एक- पेट्रोल और डीजल के रेट को लेकर क्या कहा था?
दो- रसोई गैस को लेकर क्या कहा था?
तीन- डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए के बारे में क्या कहा था?
चार- निजीकरण के बारे में क्या कहा था?
पांच- एमएसपी के बारे में क्या कहा था?
खैर, ये तो मतदाताओं को लुभाने के लिए कहना पड़ता है, इसलिए उन्हें भी छोड़िए, लेकिन क्या आपके निर्णयों से आपके अपने खुश हैं?
एक- संघ से जुड़े मजदूर संगठन क्या मजदूरों को लेकर आपके कानून-कायदों और कोरोना काल में किए गए व्यवहार से खुश हैं?
दो- स्वदेशी आंदोलनवाले क्या आपकी स्वदेशी नीति से खुश हैं?
तीन- क्या आरएसएस से जुड़े किसान संगठन आपके कृषि कानूनों से खुश हैं?
किसी चुनाव में जीत इस बात का सबूत नहीं है कि आप जो कर रहे हैं, वह सही है!
आपकी टीम पॉलिटिकल मैनेजमेंट में एक्सपर्ट है, लिहाजा आपको चुनाव में हराना आसान नहीं है, परन्तु समय किसी का सगा नहीं है? जब समय साथ हो तो सही विरोध भी बेदम हो जाता है और समय जब बदलता है तो झूठ का भी सिक्का चल जाता है!
वह समय ही था जिसने श्रीमती इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के सियासी खाते में भी हार दर्ज करवा दी थी, किन्तु उनकी ऐतिहासिक सर्वमान्य उपलब्धियों ने उन्हें भारत के इतिहास में सम्मानजनक स्थान दिया है?
आपकी सर्वमान्य ऐतिहासिक उपलब्धि क्या है?
देश की जनता ने आप पर भरोसा करके आपको बेहतर अवसर दिया था, आपने उसे ही आपदा में बदल दिया?
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