बोकारो. जो काम लाखों की दवा नहीं कर पाई, वो फ्री की कोवीशील्ड वैक्सीन कर गई. ये दावा झारखंड के बोकारो के दुलार चंद मुंडा का है. जिले के पेटरवार प्रखंड के टकाहा गांव के रहने वाले 55 वर्षीय दुलार चंद मुंडा पिछले एक वर्ष से गंभीर रूप से बीमार थे. वे बेड से हिल भी नहीं पा रहे थे. इस बीच 6 जनवरी को कोविड वैक्सीनेशन टीम ने उन्हें कोवीशील्ड का टीका लगाया. इसके बाद 9 जनवरी को वह उठ कर खड़े हो गए और अपने पैरों पर चलने लगे.
राज्य वैक्सीनेशन के पदाधिकारी राकेश दयाल ने बताया कि हेल्थ डिपार्टमेंट इसकी जांच की तैयारी कर रहा है. स्थिति सही होते ही रिम्स के एक्सपर्ट की टीम मामले की जांच करेगी. उन्होंने बताया कि जब तक इस बात की जांच नहीं हो जाएगी कि मुंडा को किस प्रकार की परेशानी थी. उनका क्या ट्रीटमेंट चल रहा था? किस प्रकार का रिएक्शन हुआ है? तब तक इस मामले में कुछ भी बोलना उचित नहीं होगा.
इलाज कराने में जमीन तक बिक गई
दुलार चंद मुंडा ने बताया कि 4 साल पहले वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे. इसके तीन साल बाद उनके शरीर की नसों में परेशानी आ गई थी. इस कारण वह पिछले 1 वर्ष से बेड से उठ नहीं पा रहे थे. उनके परिजनों ने बोकारो, धनबाद व रांची के रिम्स तक में इलाज कराया. इसमें लगभग 4 लाख रुपए तक का खर्च आया. इसके लिए पैसे का इंतजाम करने में उनकी जमीन तक बिक गई, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई.
सिविल सर्जन ने कहा- यह रिसर्च का विषय
बोकारो के सिविल सर्जन जितेंद्र कुमार ने बताया कि ये शोध का विषय है. वैक्सीन लगते ही शरीर में क्या बदलाव हुआ, बिना जांचे इस मामले में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पेटरवार की एक टीम ने चिकित्सा प्रभारी अलबेल केरकेट्टा के नेतृत्व में दुलार चंद मुंडा के स्वास्थ्य जांच भी की, लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-देश में सीरम ने कोवीशील्ड के दाम घटाए, राज्यों को अब 400 की जगह 300 रुपए में दी जाएगी वैक्सीन
दावा: कोरोना के दोनों वेरिएंट ओमिक्रॉन और डेल्टा को बेअसर करने में सक्षम कोवैक्सीन का बूस्टर डोज
भारत के वैक्सीनेशन अभियान के लिए बड़ा दिन, आज से स्वास्थ्य कर्मियों और बुजुर्गों को लगेगी बूस्टर डोज
सिटीग्रुप बैंक कर्मचारियों ने 14 जनवरी तक वैक्सीन नहीं लगाई तो नौकरी से बाहर होंगे
Leave a Reply