सरकार ने शुरू की टैक्स कैलकुलेटर की सुविधा, GSTR-3B में आसानी से लग जाएगा ब्याज का हिसाब

सरकार ने शुरू की टैक्स कैलकुलेटर की सुविधा, GSTR-3B में आसानी से लग जाएगा ब्याज का हिसाब

प्रेषित समय :11:02:57 AM / Sun, Jan 16th, 2022

नई दिल्ली. जीएसटी विभाग ने उन टैक्सपेयर्स को बड़ी सुविधा दी है जिन्होंने GSTR-3B के अंतर्गत अपना जीएसटी फाइल नहीं किया है. जिन लोगों ने अपने पुराने इनवॉइस अपलोड नहीं किए हैं और अब वे इसे दर्ज करना चाहते हैं तो उन्हें ब्याज देना होगा. इसके लिए टैक्सपेयर अब खुद की ब्याज की गणना कर सकेगा. जीएसटी विभाग ने पहली बार टैक्स कैलकुलेटर की सुविधा शुरू की है जो जीएसटीआर-3बी फॉर्म में ही मिलेगी. इस टैक्स कैलकुलेटर की मदद से जिन टैक्सपेयर ने अपना पुराना इनवॉइस अपलोड नहीं किया है या पुराना जीएसटी नहीं भरा है, वे अपना ब्याज जोड़कर जीएसटीआर-3बी फॉर्म आसानी से भर सकते हैं.

दरअसल, किसी भी टैक्सपेयर को जो अपना जीएसटी देर से भरता है, उसे कुछ लेट फाइन देनी होती है जो जीएसटीआर-3बी में शामिल की जाती है. लेट फाइन जीएसटीआर-3बी फॉर्म में दिख जाता है क्योंकि यह ऑटो पॉपुलेटेड होता है और इसकी जानकारी ऑटोमेटिक अपडेट हो जाती है. दूसरी ओर, इनवॉइस देर से भरने पर टैक्सपेयर को ब्याज देना होता है और इसका हिसाब ऑटो-पॉपुलेटेड नहीं होता. इसलिए ब्याज का पैसा पहले से जोड़ कर 3बी फॉर्म में नहीं दिखता. इस ब्याज के पैसे को टैक्सपेयर को खुद ही जोड़ना पड़ता है. खुद जोड़ने के चलते अधिकांश लोग ब्याज का पैसा नहीं भरते.

इससे निजात दिलाने के लिए सरकार ने टैक्स कैलकुलेटर की सुविधा शुरू की है. जीएसटीआर-3बी फॉर्म भरने पर आपको बताना होता है कि कितने महीने का इनवॉइस नहीं भरा गया है. यह जानकारी दिए जाने के बाद अगली बार आपके जीएसटीआर-3बी में ब्याज का पैसा ऑटोमेटिक जुड़ कर दिख जाएगा. इससे जीएसटी के साथ लेट फाइन और ब्याज का पैसा चुकाने में आसानी होगी. कोई टैक्सपेयर यह बहाना भी नहीं बना सकता कि उसने टैक्स की गणना नहीं की है क्योंकि यह पहले से जुड़ कर आएगा. ऐसे में ब्याज का पैसा चुकाना अब जरूरी हो गया है.

जीएसटी कानून में ब्याज का हिसाब साफ-साफ बताया गया है. कोई भी आम टैक्सपेयर इस हिसाब से अपना ब्याज जोड़कर चुका सकता है. अगर कोई टैक्सपेयर समय पर इनवॉइस अपलोड नहीं करता है तो उसे 10 परसेंट के हिसाब से ब्याज देना होता है. अगर कोई बिजनेसमैन इनपुट टैक्स क्रेडिट की सही जानकारी नहीं देता है और उसे अधिक दिखाता है तो उसे 24 परसेंट के हिसाब से ब्याज भरना होता है. अगर जितना जीएसटी बनता है, उससे कम पैसा चुका रहे हैं तो 24 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा. अब टैक्स कैलकुलेटर की मदद से कोई भी टैक्सपेयर ब्याज के पैसे का आसानी से हिसाब लगा लेगा और उसे भर सकेगा.

सरकार के इस कदम का मकसद जीएसटी की चोरी रोकना है. ब्याज का भुगतान समय पर किया जा सके, इसके लिए टैक्स कैलकुलेटर की सुविधा शुरू की गई है. साथ ही इस कदम का मकसद फर्जी बिलिंग पर अंकुश लगाना है. फर्जी बिलिंग के जरिये विक्रेता जीएसटीआर – 1 में अधिक बिक्री दिखाते थे, ताकि खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा कर सके, जबकि जीएसटीआर- 3बी में घटी हुई बिक्री की दिखाकर जीएसटी की देनदारी को कम कर दिया जाता था. अभी तक जीएसटी कानून के तहत ऐसे मामलों में पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता था और वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाती थी. अब सरकार ने जब टैक्स कैलकुलेटर शुरू कर दिया है तो जीएसटी की कार्यवाही से बचने के लिए खुद ही टैक्स जोड़कर चुकाने में आसानी होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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