नई दिल्ली. ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण और मेरिट एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं. सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस, बीडीएस और सभी पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को संवैधानिक तौर पर सही ठहराया है. हालांकि कोर्ट ने ये आदेश पहले ही दिया था लेकिन आज अदालत ने उस पर अपना विस्तृत फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में सबसे अहम बात सामाजिक न्याय को लेकर कही गई है. आमतौर पर स्पेशलाइज्ड कोर्स में आरक्षण का विरोध किया जाता है. कहा जाता है कि ऐसे कोर्स में आरक्षण नहीं होना चाहिए. आरक्षण देने से मेरिट पर असर पड़ता है. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इस विचार पर अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि मेरिट और आरक्षण एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं. दरअसल आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां कहीं भी कंपटीशन या एग्जाम से दाखिला होता है, उसमें सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को नहीं देखा जाता है. कुछ समुदाय आर्थिक और सामाजिक तौर पर आगे होते हैं. एग्जाम में इस बात को नहीं देखा जाता. इसलिए मेरिट को सामाजिक ताने बाने के साथ देखा जाना चाहिए.
एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित आंकड़े अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष पेश करे ताकि इनकी सत्यता की जांच की जा सके और वह स्थानीय निकायों के चुनावों में उनके प्रतिनिधित्व पर सिफारिशें कर सके. शीर्ष अदालत ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) को यह निर्देश दिया कि वह राज्य सरकार से सूचना मिलने के दो हफ्ते के अंदर संबंधित प्राधिकारियों को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत इन प्रदेशों में बारिश से और बढ़ेगी सर्दी; IMD ने जारी की चेतावनी
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