छत्तीसगढ़ के इस गांव में हाथी की फैमिली में आई गुड न्यूज, 6 गांवों के लोगों ने मिलकर मनाया जश्न

छत्तीसगढ़ के इस गांव में हाथी की फैमिली में आई गुड न्यूज, 6 गांवों के लोगों ने मिलकर मनाया जश्न

प्रेषित समय :16:24:17 PM / Sun, Jan 23rd, 2022

रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में हाथी के एक परिवार में खुशखबरी का जश्न मनाने की चर्चा पूरे क्षेत्र में है. इस क्षेत्र 6 गांवों के लोगों ने मिलकर हाथी के बच्चे के जन्म का जश्न मनाया है. हाथी के बच्चे का छठी कार्यक्रम भी किया गया है. छठी की रश्मों और पूजा की पूरी विधि का पालन किया गया. गांव के लोगों को भोजन भी कराया गया. बताया जा रहा है कि करीब 1000 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन गांव वालों ने किया है. इस इलाके में हाथी के बच्चे का छठी मनाने की परंपरा वर्षों पुरानी है.

दरअसल लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम करवारजोर, चिरईखार, ढोर्रोबीजा, टांगरजोर, बेस्कीमुड़ा, मुकडेगा क्षेत्र में लगभग 1 महीने से जंगली हाथियों के आतंक से ग्रामवासी काफी दहशत है और वे परेशान हैं. इन ग्रामीण इलाकों में बीते कई दिनों से 30-40 की संख्या में जंगली हाथियों द्वारा लगातार किसानों की फसल एवं मकान को क्षतिग्रस्त कर नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके कारण क्षेत्र के किसान एवं ग्रामीणों में काफी दहशत का माहौल व्याप्त है. क्षेत्र के ग्रामीणों में इतनी दहशत है कि कड़कड़ाती ठंड के बावजूद भी हाथियों के बचाव के लिए रतजगा करने पर मजबूर हैं. जब वन विभाग और ग्रामीणों की सभी कोशिशें विफल हो गई तो वे बैगाओं के कहने पर अब इस क्षेत्र के 6 गांव के ग्रामीणों ने हाथी भगाने के लिए एक अनूठी परंपरा का पालन करते हुए हाथी के छठी कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें आधे दर्जन गांव के सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए.

हाथी नहीं मचाते हैं उत्पात

लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में हुए इस अनोखे कार्यक्रम में 4-5 गांव के लगभग 300 ग्रामीण उपस्थित होकर पूरी विधान से पूजा अर्चना किए. इसके साथ ही जंगली हाथियों के आतंक से निजात दिलाने की प्रार्थना भगवान से की. मुकडेगा के सरपंच प्रतिनिधि हृदयराम दाऊ ने बताया कि हाथी के बच्चे के जन्म की सूचना के बाद घने जंगल में छठी कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान उपस्थित ग्राम बैगा तथा रावत समाज के हाथी गोत्र एवं नाई धोबी के साथ रीति रिवाज के अनुरूप पूजा पाठ कर छठी कार्यक्रम संपन्न कराया गया. ग्रामीणों के अनुसार मान्यता है कि हाथी का छठी कार्यक्रम आयोजन करने के बाद संतुष्ट होकर हाथी एक क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र चले जाते हैं. हाथी भगाने की दिलचस्प एवं अनूठी परंपरा कहें या रूढि़वादी परंपरा, लेकिन ग्रामीण इस परंपरा को वर्षों से निभा रहे हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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