वॉशिंगटन. रूस और नाटो के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर तनाव बढ़ता जा रहा है. इस मामले में तेजी से डेवलपमेंट हो रहे हैं. पूरे यूरोप में हाई अलर्ट जैसी स्थिति है. बेशक रूस और अमेरिका के अधिकारी इस संकट को टालने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ अमेरिका कुछ ऐसे बड़े कदम भी उठा रहा है, जिससे युद्ध होने की आशंका बढ़ती जा रही है. अमेरिका ने अपने कुछ राजनयिकों के परिवारों को यूक्रेन से वापस बुला लिया है.
अमेरिका के विदेश विभाग ने पहले ही यूक्रेन के लिए ‘लेवल 4’ की एडवाइजरी जारी की हुई है. जिसमें अमेरिकी नागरिकों से कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी और रूस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर यूक्रेन की यात्रा ना करें. नॉन स्टाफ सदस्यों को वापस बुलाने की योजना उसी दिन बनी, जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंक ने रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव से मुलाकात की है. ये मुलाकात भी वर्तमान तनाव को कम करने के लिए हुई थी.
युद्ध होने की आशंका को उस खबर से भी बल मिल रहा है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका ने यूक्रेन को 90 टन की ‘घातक मदद’ पहुंचाई है. रूस ने सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया हुआ है. इस बीच अमेरिका का यूक्रेन को 90 टन की मदद भेजना एक बड़ी बात है. इससे कुछ समय पहले अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य मदद की मंजूरी दी थी. जिसके बाद यह पहली खेप भेजी गई, जो यूक्रेन तक पहुंच गई है. इसमें सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए हथियार भी शामिल हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिसंबर महीने में यूक्रेन को 20 करोड़ डॉलर यानी करीब 1488 करोड़ रुपये के सुरक्षा सहायता पैकेज को मंजूरी दी थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस बहुत गुपचुप तरीके से यूक्रेन को घेरने की कोशिश कर रहा है. 5 जनवरी को उसने कीव स्थित अपनी एम्बेसी से 18 लोगों को मॉस्को रवाना किया. ये सभी लोग सड़क के रास्ते 15 घंटे का सफर करने के बाद मॉस्को पहुंचे. इसके बाद अगले कुछ दिनों में 30 और लोगों को इसी तरह मॉस्को भेजा गया. यूक्रेन में कीव के अलावा रूस की दो कॉन्स्युलेट्स भी हैं. इनके कर्मचारियों से कहा गया है कि उन्हें किसी भी वक्त मॉस्को जाने का आदेश दिया जा सकता है.
अमेरिकी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रूस ने 60 बटालियन यूक्रेन के बॉर्डर पर तैनात की हैं. कुल मिलाकर रूसी सैनिकों की संख्या 77 हजार से एक लाख बताई जा रही है. हालांकि, एक महीने पहले पेंटागन ने यह संख्या एक लाख 75 हजार बताई थी. अमेरिकी इंटेलिजेंस को लगता है कि रूसी सेना इस बात का इंतजार कर रही है कि बॉर्डर एरिया में बर्फ पूरी तरह जम जाए. इससे सैनिक और आर्टिलरी को मूव करने में आसानी होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रूस ने मिसाइल टेस्ट के लिए अंतरिक्ष में उड़ाया अपना पुराना सैटेलाइट, दुनिया में मच गया हंगामा
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