अनूपपुर में बारिश में भीगी हजारों क्विंटल धान, बोरियों से निकला अंकुरण

अनूपपुर में बारिश में भीगी हजारों क्विंटल धान, बोरियों से निकला अंकुरण

प्रेषित समय :10:34:02 AM / Tue, Jan 25th, 2022

अनूपपुर. जिले में धान उपार्जन पर भंडारित लाखों क्विंटल धान अब भगवान भरोसे रखी हुई है, जहां बारिश या मौसमी मार से बचाने उसके समुचित ढकऩे की व्यवस्था तक नहीं बनाई गई है. जिसमें लगातार मौसम के बदलते तेवर और बारिश की बौछार में जमीन पर स्टैक में लगी हजारों क्विंटल धान की बोरियां गीली होकर बर्बाद हो रही है. हालात यह बन आए हैं कि बिना योजना में उपार्जन केंद्रों पर जमीन पर स्टैक लगाकर रखी गई धान की बोरियां परिवहन के अभाव में अब बारिश के पानी में अंकुरने लगी है.

पूर्व में प्रशासन द्वारा बारिश के दौरान सुरक्षित धान को रखने दिए गए निर्देश में सोसायटी प्रबंधक लगातार अनदेखी बरत रहे हैं, जिसमें शनिवार-रविवार की रात रूक रूक होती रही झमाझम बारिश में जिले के 30 उपार्जन केन्द्रों पर रखी हजारों क्विंटल धान फिर से भीग गई. पानी की मात्रा अधिक होने के कारण जमीन अधिक गीली हो गई और पूरी तरह से धान के नहीं ढके होने के कारण बारिश का पानी सीधे बोरियों तक पहुंचती रही. जिसमें अधिकांश स्थानों पर अब भी स्टैक एरिया के पास पानी भरा हुआ है. पानी की नमी से बोरियां गीली पड़ी है. इससे पूर्व हजारों क्विंटल धान की बोरियां पहले भी दो बार लगातार बरसती बारिश में भींगती रही है.

विभागीय जानकारों का कहना है कि अनुमान है कि अगर सभी उपार्जन केन्द्रों पर स्टैक लगाकर या छल्ली लगाकर रखी बोरियों को हटाया जाए स्टैक के सबसे नीचे बिछाई गई लगभग 8-10 हजार क्विंटल धान की बोरियां सड़ चुकी है. जहां फिलहाल परिवहन के अभाव में उनके ऊपर अन्य बोरियों के भार में वह अंदर दबी पड़ी है. अगर धान की बोरियों को जल्द ही गोदामों तक नहीं पहुंचाया गया तो स्टैक में लगी उपर की बोरियां भी प्रभावित होंगी. विदित हो कि जिले के 30 उपार्जन केन्द्रों पर 29 नवम्बर से 20 जनवरी तक धान उपार्जन किया गया है, जिसमें सभी उपार्जन केन्द्रों पर 7 लाख 25 हजार 720 क्विंटल धान की खरीदी गई है.

जिले में धान उपार्जन के दौरान तीन बार मौसम में तब्दीली आई, जिसमें तीनों बार लगातार बारिश के बौछार गिरी. यहीं नहीं बारिश के उपरांत तीन-तीन दिनों में आसमान में बादल छाए रहे और बारिश का सिलसिला बना रहा. जिसमें धान को सुरक्षित रखने नागरिक आपूर्ति विभाग प्रबंधक एवं जिला प्रशासन प्रशासन द्वारा सोसायटी प्रबंधकों को सख्त हिदायत देकर उपार्जन केन्द्र पर भंडारित स्कंधों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए. लेकिन इसके बाद भी तीनों बार की बारिश में हजारों क्विंटल धान बार बार भीगी. इनमें स्टैक में लगी धान की बोरियां तो दो माह से अधिक समय से नीचे दबी पड़ी है. लेकिन हर बार जांच कराकर कार्रवाई के आश्वासन तक विभाग सीमित रहा. जबकि सोसायटी प्रबंधकों को धान उपार्जन और सुरक्षित भंडारण में उन्हें शासन द्वारा कमीशन के रूप में आर्थिक बजट उपलब्ध कराती है. बावजूद सोसायटी प्रबंधकों ने धान को सुरक्षित रखने कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई.

जगह के अभाव में उपार्जन केन्द्र पर लापरवाह पूर्वक भंडारित धान की बोरियां अब बारिश की पानी में भीग कर अंकुरित होने लगी है. उपार्जन केन्द्रों पर स्टैक के किनारे में लगी नीचे की बोरियों पूरी अंकुरित हो चुकी है. जबकि कुछ स्थानों पर बीच बीच में पानी के लगातार सम्पर्क में रहने वाली बोरियां भी अंकुरित हो चुकी है. वहीं गोदामों में भंडारण की कमी के कारण परिवहन भी सुस्त पड़ गई है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पूरी तरह धान के उठाव में अभी एकाध माह का और समय लग जाएगा. नान प्रबंधक एवं डिप्टी कलेक्टर विजय डहेरिया ने बताया कि लापरवाही में धान को नुकसान पहुंचेगा, सुरक्षा के लिए बार बार हिदायत दी जा रही है. फिर से सभी सोसायटी प्रबंधकों को धान को सुरक्षित ढकने निर्देशित करता हूं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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