छतरपुर के अवध जड़िया को पद्मश्री सम्मान, कहा- साहित्य सेवा का फल

छतरपुर के अवध जड़िया को पद्मश्री सम्मान, कहा- साहित्य सेवा का फल

प्रेषित समय :11:52:10 AM / Wed, Jan 26th, 2022

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से नगर में रहने वाले अवध जड़िया को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा है. यह सम्मान उन्हें शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में दिया गया है. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले ही भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान मिलने वालों के नाम की सूची जारी की थी.

छतरपुर जिले के हरपालपुर नगर में रहने वाले अवध जड़िया ने साहित्य के क्षेत्र में 25 साल काम किया है और उन्होंने पांच पुस्तकें भी लिखी हैं. जाड़िया के नाम की घोषणा होते ही उनके घर में उनके चाहने वालों एवं रिश्तेदारों की भीड़ लग गई. लोगों ने उन्हें मिठाई खिला कर शुभकामनाएं देना शुरू कर दिया.

डॉक्टर अवध जड़िया का जन्म 17 अगस्त 1948 में अलीपुरा स्टेट के राजवैद्य बृजलाल के घर हुआ. उनके पिता स्वयं ज्योतिष के अच्छे ज्ञाता होने के साथ-साथ साहित्य के भी बड़े जानकार थे. जड़िया को साहित्यिक संस्कार अपने पिता से ही मिले.

जड़िया की प्रारंभिक शिक्षा हरपालपुर से ही हुई. उसके बाद उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में बीएएमएस की डिग्री ग्वालियर विश्वविद्यालय से स्वर्णपदक के साथ 1970 में हासिल की. डॉक्टर अवध किशोर जड़िया शासकीय सेवा में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के रूप में आ गए. सन 1977 में एक कृति 'वंदनीय बुंदेलखंड' प्रकाशित हुई. 'ऊधव शतक', 'कारे कन्हाई के कान लगी है' और 'विराग माला' काव्य संग्रह अप्रकाशित रहे.

जड़िया को कला संस्कृति साहित्य विद्यापीठ मथुरा ने 'साहित्य अलंकार', श्री राम रामायण संस्कृति ट्रस्ट ग्वालियर ने 'उदीयमान मानस मणि' और अखिल भारतीय ब्रिज साहित्य संकाय आगरा ने 'बुंदेली गौरव' सम्मान से नवाजा जा चुका है. इसके अलावा अखिल भारतीय ब्रज साहित्य संगम मथुरा ने 'कवि शिरोमणि' और साहित्य आनंद परिषद गोला गोकर्ण नाथ ने 'काव्य रत्न' की उपाधि से सम्मानित किया किया है.

'परिवार के लोगों नहीं था भरोसा'

डॉ अवध किशोर जड़िया बताते हैं कि सालों पहले जब वह साहित्य के लिए रातों में जागते थे तो परिवार के लोग कई बार इस तरह के सवाल पूछा करते थे. उन्होंने कहा, 'घरवाले पूछते थे कि आप इतना परेशान होते हैं, रात-रात भर सोते नहीं, आखिर इन चीजों से क्या मिलेगा लेकिन आज मुझे भारत सरकार ने जो सम्मान दिया है उससे ना सिर्फ मेरा परिवार बल्कि 25 साल मैंने जो साहित्य को दिए ऐसा लगता है कि उस सेवा का मुझे फल मिला.'

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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