एक नए रिसर्च में दावा किया गया है कि सार्स-कोव-2 वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप त्वचा पर 21 घंटे, जबकि प्लास्टिक की सतह पर आठ दिनों तक जीवित रह सकता है. इस स्वरूप के ज्यादा संक्रामक होने की मुख्य वजह भी इसे ही माना जा रहा है.
त्वचा पर ज्यादा खतरा
अध्ययन को जापान स्थिति क्योटो प्रिफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया. उन्होंने सार्स-कोव-2 वायरस के वुहान में मिले स्वरूप के अलग-अलग सतहों पर जीवित रहने की क्षमता की तुलना अन्य गंभीर स्वरूपों से की. शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप वायरस के वुहान वेरिएंट के मुकाबले त्वचा व प्लास्टिक की परत पर दोगुने से भी ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं.
यही कारण है कि इन स्वरूपों से संक्रमण की दर चीन के वुहान में मिले मूल वेरिएंट (स्वरूप) से कहीं ज्यादा दर्ज हुई है. अध्ययन में ओमीक्रोन का SARS-CoV-2 के वुहान स्ट्रेन और अन्य चिंताजनक वेरिएंट के साथ वायरल पर्यावरणीय स्थिरता में अंतर का विश्लेषण किया गया. स्टडी में यह बात सामने आई कि ओमिक्रॉन शवों से लिए गए त्वचा के मॉडल पर 21.1 घंटे तक जीवित रहा, जबकि वुहान वाला मूल वायरस (8.6 घंटे), गामा (11 घंटे) और डेल्टा (16.8 घंटे) से कहीं अधिक समय तक जीवित रहा था
हाथ की स्वच्छता पर दें ध्यान
Researchers की मानें तो ज्यादा समय तक सतह पर जिंदा रहना वायरस के प्रसार में योगदान दे सकती है. शोध में पता चला कि त्वचा पर ज्यादा देर तक वायरस के सक्रिय रहने से संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ गया है, इसलिए बार-बार पर हाथ की स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है.शोध में खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट 193.5 घंटे प्लास्टिक पर जिंदा रहता है, जो कि 8 दिनों से भी ज्यादा का समय हुआ.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-नसों में खून की रफ्तार रुकने न पाए इसलिए इन हेल्थ टिप्स को करें फॉलो
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