सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों के एक साल के निलंबन को बताया असंवैधानिक, किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों के एक साल के निलंबन को बताया असंवैधानिक, किया रद्द

प्रेषित समय :11:09:00 AM / Fri, Jan 28th, 2022

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक बताया है और इसे रद्द कर द‍िया है. पिछले साल 6 जुलाई को विधानसभा में स्पीकर के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करना निष्कासन से भी बदतर है और ये पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देना होगा. जस्टिस एएम खानविलकर ने टिप्पणी की थी कि यह फैसला निष्कासन से भी बदतर है.

उन्होंने कहा, कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता क्योंकि क्षेत्र के विधायक सदन में मौजूद नहीं होंग. यह सदस्य को नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के बराबर है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो एक साल के निलंबन की सजा की न्यायिक समीक्षा करेगा. हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.

SC ने यह भी बताया कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, एक निर्वाचन क्षेत्र 6 महीने से अधिक की अवधि के लिए बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रह सकता है. SC ने महाराष्ट्र की इस दलील को ठुकरा दिया कि अदालत एक विधानसभा द्वारा दिए गए दंड की मात्रा की जांच नहीं कर सकती है. जबकि याचिकाकर्ता बीजेपी विधायकों ने कहा कि सदन द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया. निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है. इस तरह से निष्कासन सरकार को महत्वपूर्ण मुद्दों में बहुमत वोट हासिल करने के लिए सदन में ताकत में हेरफेर करने की अनुमति दे सकता है. याचिकाकर्ता विधायकों की ओर से महेश जेठमलानी, मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल और सिद्धार्थ भटनागर पेश हुए.

इससे पहले 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि याचिका का लंबित रहना याचिकाकर्ता के कार्यकाल में कटौती के संबंध में सदन से आग्रह करने के रास्ते में नहीं आएगा. यह एक ऐसा मामला है जिस पर सदन द्वारा विचार किया जा सकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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