साइबेरिया के एक गांव में हुई काली बर्फबारी, लोग हुए हैरान

साइबेरिया के एक गांव में हुई काली बर्फबारी, लोग हुए हैरान

प्रेषित समय :11:42:13 AM / Sat, Jan 29th, 2022

मास्को. रूस में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है. यहां के एक सुदूर गांव के निवासियों ने शिकायत की है कि उन्हें प्रदूषण वाली सर्दियों का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से सफेद बर्फ गिरने की जगह काली बर्फ गिर रही है. रूस के सुदूर पूर्व में साइबेरिया के मगदान क्षेत्र के ओमसुक्चन में स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके बच्चे राख और काली बर्फ से ढकी गलियों और खेल के मैदानों में खेलने को मजबूर हो गए हैं.

इस गांव में कोयले से जलने वाले गर्म पानी का प्लांट है, जो यहां के चार हजार लोगों को जरूरी गर्मी प्रदान करता है. लेकिन इसकी वजह से कालिख और धूल की वजह प्रदूषण भी बढ़ गया है. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि ठंडे बसे इलाके में काली बर्फ बिछी हुई है. स्टालिन यहां पर राजनीतिक कैदियों को जबरन मजूदरी करने के लिए भेजा करता था. एक निवासी द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा गया कि ओमसुचन गांव में बर्फ जमी हुई है. जनवरी का महीना है और हमारे बच्चे यहां पर काली बर्फ में खेल रहे हैं. इस तरह हम यहां 21वीं सदी में रह रहे हैं. एक अन्य ने कहा, यह ओमसुक्चन गांव है और बर्फ काली है पूरी तरह से काली.

गर्म पानी के प्लांट की वजह से पैदा हुआ धुआं

निवासियों का कहना है कि तीन दशक पहले सोवियत यूनियन के पतन के बाद के बावजूद कुछ भी नहीं बदला है. यहां पर हालात अभी भी पहले जैसे ही हैं. एक व्यक्ति ने कहा, आज भी हमारे बच्चों को काले धुएं में सांस लेना पड़ता है. ऐसा लगता है कि यहां पर कुछ बदलने वाला नहीं है. अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि ओमसुक्चन और पड़ोसी सेमचन में काली बर्फबारी की वजह कोयला जलाने वाले गर्म पानी के प्लांट हैं. ये क्षेत्र में फ्लैटों और घरों के लिए एक हीटिंग स्रोत के रूप में जरूरी हैं. ये इलाका सोने के खनन के साथ-साथ कोयला की खदानों के लिए प्रसिद्ध है.

इस महीने यहां पर तापमान -50 डिग्री के नीचे तक पहुंच गया. इस वजह से यहां पर बड़े पैमाने पर कोयला जलाया गया है, जिसकी वजह से यहां पर बर्फ के ऊपर काले धुएं की परत जम गई. श्रेडनेकांस्की जिले के प्रमुख ओक्साना गेरासिमोवा ने मगदान प्रावदा अखबार को बताया कि घरों को माइनस 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में गर्म रखने के लिए ताप संयंत्रों को बिजली देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि धुएं को इकट्ठा करने वाले उपकरण ताप संयंत्रों में लगाए गए हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि वर्तमान में वे सफाई करने में सक्षम नहीं हैं. उसने स्वीकार किया कि इस क्षेत्र को धुआं, राख और काली बर्फ का सामना करना पड़ा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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