चेन्नई. तमिलनाडु के राज्यपाल ने तमिलनाडु विधानसभा को नीट छूट विधेयक लौटा दिया है. उन्होंने कहा कि यह बिल छात्रों के हितों के खिलाफ है, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से गरीब छात्रों के लिए यह बिल नुकसानदायक है. आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार लगातार राज्यपाल आरएन रवि से नीट छूट विधेयक को जल्द से जल्द राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजने की मांग कर रही थी. इसे लेकर राज्य में एजुकेशनल एक्टिविस्ट भूख हड़ताल पर चले गए थे. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए आगे बढ़ाएं. यह बिल उनके पास सितंबर से है. लेकिन इस बीच ही राज्यपाल ने विधानसभा को नीट छूट विधेयक लौटा दिया है.
अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स बिल सितंबर 2021 में द्रमुक के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने विधानसभा में पारित किया था, ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में NEET को अनिवार्य करने से पहले केवल कक्षा 12 के अंकों पर विचार कर तमिलनाडु की मेडिकल प्रवेश की प्रक्रिया को बहाल किया जा सके. जब संगठन विधेयक की स्थिति पर एक आरटीआई आवेदन दायर किया, तो राज्यपाल के कार्यालय ने पिछले दिसंबर में जवाब दिया कि फाइल विचाराधीन है.
सत्तारूढ़ द्रमुक की पार्टी के अंग मुरासोली ने रवि की आलोचना करते हुए एक कॉलम प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि राज्य की दो-भाषा नीति और एनईईटी पर उनके विचारों के लिए ‘यह तमिलनाडु है न कि नागालैंड. राज्यपाल को इसे समझना चाहिए और केंद्र सरकार को ठीक से सूचित करके राज्य की सर्वसम्मत राय के लिए सहमति लेनी चाहिए. वहीं हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने राज्य में तीन-भाषा नीति लागू करने का विचार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वहां प्रभावी दो-भाषा (तमिल और अंग्रेजी) नीति योग्यता या अवसरों की उपलब्धता के लिहाज से छात्रों के सामने कोई बाधा पेश नहीं करती.
वहीं तमिलनाडु की जनता को अन्य भारतीय भाषाएं सीखने का मौका देने संबंधी राज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के तमिल आधिकारिक भाषा, संस्कृति और उद्योग मामलों के मंत्री थंगम थेन्नारासू ने कहा था कि, जो लोग तमिलनाडु में भाषा को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के इतिहास से वाकिफ हैं, वे समझेंगे कि ‘अन्य भारतीय भाषाओं’ का मतलब सिर्फ हिंदी को थोपने के केंद्र के एजेंडे को पूरा करना होगा.
आपको बता दें कि राज्यपाल ने यह भी कहा था कि नीट से पहले सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के मामले में सरकारी स्कूलों के छात्रों की हिस्सेदारी मुश्किल से एक फीसदी थी. उन्होंने दावा किया था कि सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण की प्रभावी व्यवस्था करने से इस संख्या में सुधार हुआ है. हालांकि मंत्री थंगम थेन्नारासू ने दावा किया कि नीट पास करने वाले छात्रों के लिए 7.5 प्रतिशत कोटा ‘अस्थाई’ है और इससे छात्रों को इस परीक्षा में होने वाले भेदभाव से पार पाने में कुछ हद तक मदद मिलेगी. उन्होंने राज्यपाल से मेडिकल दाखिलों में तमिलनाडु को नीट से छूट देने के राज्य विधानसभा के विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आगे बढ़ाने की मांग की थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-झांकी विवाद पर राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र
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