पंजाब चुनाव: मुश्किल में फंसे कैप्टन अमरिंदर सिंह! 37 सीटों पर नहीं मिल रहे कैंडिडेट

पंजाब चुनाव: मुश्किल में फंसे कैप्टन अमरिंदर सिंह! 37 सीटों पर नहीं मिल रहे कैंडिडेट

प्रेषित समय :12:12:56 PM / Fri, Feb 4th, 2022

चंडीगढ़. पंजाब में राजनीति के सबसे बड़े धुरंधर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बार चुनावी मोर्चे पर मुश्किल में फंस गए हैं. तीन महीने पहले उन्होंने कांग्रेस से अलग होने का ऐलान किया था. इस बार वो बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैप्टन को 37 सीटों के लिए अच्छे कैंडिडेट ही नहीं मिल रहे हैं. बता दें कि 117 सीटों के लिए पंजाब में 20 फरवरी को चुनाव होंगे.

अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस के अपने नेता ही उनके चुनाव चिह्न पर लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. अखबार के मुताबिक पीएलसी के महासचिव कमलदीप सिंह सैनी सहित कम से कम पांच नेताओं ने भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना पसंद किया है. लिहाज़ा उन्हें कैंडिडेट न मिलने के चलते अपने कोटे की तीन सीटें बीजेपी को देनी पड़ी हैं. इसके अधिकांश उम्मीदवार राजनीति के नए खिलाड़ी हैं. जबकि अमरिंदर के कुछ शीर्ष सहयोगी अब उनके साथ नहीं हैं.

कांग्रेस छोड़ने के बाद, अमरिंदर सिंह ने बार-बार दावा किया था कि चुनाव के करीब कांग्रेस से कई और नेता पीएलसी में शामिल होंगे. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. अमरिंदर सिंह ने 2017 के चुनावों में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत दिलाई थी. ये पहली बार है जब भाजपा पंजाब चुनाव में 22-23 से अधिक सीटों पर लड़ रही है. इस बार बीजेपी के सिंबल पर 71 उम्मीदवार मैदान में हैं.

2 नवंबर को कांग्रेस छोड़ने के बाद अमरिंदर सिंह के लिए पहला झटका, उनके वरिष्ठतम सहयोगी राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी का पीएलसी के बजाय भाजपा में शामिल होने का निर्णय था. बाद में उनकी पार्टी को राजा सांसी, जीरा और नवांशहर निर्वाचन क्षेत्र के टिकट भाजपा को लौटाने पड़े. इसके तुरंत बाद सतवीर सिंह पल्लीझिक्की, जिन्हें पीएलसी ने नवांशहर से टिकट दिया था, ने कांग्रेस में लौटने का फैसला किया. नकोहर सीट पर पीएलसी को अपने उम्मीदवार हॉकी ओलंपियन अजीत पाल सिंह की जगह दूसरा कैंडिडेट उतारना पड़ा.

उम्मीदवारों की कमी से इनकार करते हुए अमरिंदर सिंह ने बताया, हमने सबसे अच्छे संभावित नाम मैदान में उतारे हैं और हमें यकीन है कि हम जीतेंगे. उन्होंने कहा कि उनके उम्मीदवारों का भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना एक रणनीतिक समझ थी, इससे हमें अधिकतम लाभ मिलेगा. अगर पीएलसी उम्मीदवारों ने बीजेपी का चुनाव चिह्न चुना है, तो इसका कारण यह है कि वे शहरी इलाकों में लड़ रहे हैं और ऐसा वोट हासिल करने के लिए किया गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

निर्देशक सुनील खोसला की पंजाबी फिल्म मेरा व्याह करा दो रिलीज के लिए तैयार

पंजाब चुनाव: कांग्रेस के CM सर्वे में चन्नी का नाम आगे, पार्टी अगले हफ्ते कर सकती है घोषणा

पंजाब चुनाव से पहले चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, 310 करोड़ रुपये का सामान किया जब्त

पंजाब में कांग्रेस को झटका, पूर्व मंत्री जगमोहन सिंह कांग ने थामा AAP का हाथ

पंजाब के भदौर से सीएम चन्‍नी ने भरा पर्चा, खुद को बताया सुदामा, जनता को श्रीकृष्‍ण

Leave a Reply