काबुल. अफगानिस्तान में सीमा पार से पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों के हमले में कम से कम पांच पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. सेना ने यह जानकारी दी. सेना ने रविवार को एक बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार अफगानिस्तान में आतंकवादियों ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में पाकिस्तानी सैनिकों पर गोलीबारी की. उसने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और खुफिया रिपोर्टों के अनुसार आतंकवादियों को काफी नुकसान हुआ है. प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ द्वारा टीटीपी से पाकिस्तान को खतरे के जिक्र के कुछ ही दिनों बाद यह हमला हुआ है जिसमें पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई है. जनवरी के अंत में युसुफ ने कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है क्योंकि युद्धग्रस्त देश में अभी भी संगठित आतंकवादी नेटवर्क सक्रिय हैं और अफगानिस्तान की भूमि का उपयोग अभी भी पाकिस्तान के विरूद्ध हो रहा है.
मोईद युसुफ ने विदेश मामलों के लिए नेशनल असेंबली की स्थायी समिति को अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर जानकारी देते हुए यह बात कही थी. उन्होंने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की अफगानिस्तान में मौजूदगी से पाकिस्तान को उत्पन्न हुए खतरे के बारे में भी बात की. मोईद युसुफ ने कहा था, “संगठित आतंकवादी नेटवर्क अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं और अफगानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल अभी भी पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है और तालिबान के सत्ता में आने से सभी समस्याओं के पूर्ण समाधान की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयान के बाद हुए इस हमले ने उनकी बात को सही साबित कर दिया है. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं. पाकिस्तान को यह उम्मीद थी कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल इस्लामाबाद के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होगा. लेकिन तालिबान ने टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय, पाकिस्तान को उनके साथ बातचीत करने के लिए राजी किया, जो इस्लामाबाद ने इस उम्मीद के साथ किया कि अफगान तालिबान टीटीपी को वश में करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा.
दरअसल, इससे पहले टीटीपी ने 9 नवंबर को एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा की थी और सख्त शर्तें पेश कीं थी, जिसमें उनके शरिया के नियमों को लागू करना और सभी हिरासत में लिए गए विद्रोहियों की रिहाई शामिल था. इस पर पाकिस्तान की सरकार को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और उसने मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. पाकिस्तान की इमरान खान सरकार द्वारा मना किए जाने के बाद, जवाब में टीटीपी ने युद्ध विराम को समाप्त करने से इनकार कर दिया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अफगानिस्तान में किडनी बेच भूख मिटा रहे लोग, गरीबी से हालात भयावह
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