म्यूनिखः भारत-चीन में तल्ख रिश्तों के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पड़ोसी देशों को कर्ज डिप्लोमेसी के प्रति आगाह किया है. उन्होंने चीन का नाम लिए बिना देशों से कहा कि वो उसके कर्ज के जाल में न फंसें. उसकी आर्थिक मदद की पेशकश को स्वीकार करने से पहले उस पर अच्छी तरह से गौर कर लें, कर्ज लेने से पहले उसके फायदे-नुकसान आंक लें, उसके बाद ही आगे बढ़ें. विदेश मंत्री ने ये सलाह म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में एक डिस्कशन के दौरान दी.
विदेश मंत्री जयशंकर ने यह चेतावनी उस समय दी, जब बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मेमन ने कहा कि उनके देश को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए फंड की जरूरत है और चीन झोला भरकर पैसा देने को तैयार है. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि चीन बेहद आसान शर्तों पर पैसा दे रहा है जबकि बाकी देश कर्ज देने से पहले तमाम तरह की शर्तें लगा रहे हैं. इस पर जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंध बहुत प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं. हर देश अवसर खोजता है. वह देखता है कि वो कैसे आगे बढ़ सकता है. उसके दिमाग में हर वक्त अपना फायदा रहता है. वो यही सोचता है कि अगर वो ये काम कर रहा है तो इससे उसे क्या मिलेगा.
जयशंकर ने आगाह करते हुए कहा कि हमने ऐसे देश देख हैं, जो मोटे कर्ज के जाल में फंस गए हैं. इनमें से कई तो अपने क्षेत्र में भी हैं. उन्होंने कर्ज लेकर ऐसे प्रोजेक्ट तैयार करवा लिए, जो व्यवसायिक रूप से कामयाब नहीं हैं. ऐसे एयरपोर्ट बनवा लिए, जहां एक भी विमान नहीं उतरता. ऐसे बंदरगाह का निर्माण करा लिया, जहां एक भी जहाज नहीं आया. मुझे लगता है कि चीन के कर्ज के जाल में फंसने से पहले देशों को खुद सोचना समझना चाहिए कि आखिर वो कर क्या रहे हैं और क्यों. विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि असफल प्रोजेक्टों के लिए गए कर्ज के बदले में आपको हिस्सेदारी देनी पड़ती है और तब ये कर्ज वो नहीं रहता, जो शुरुआत में सोचा गया था.
बता दें कि चीन भारत के पड़ोसी देशों में खूब पैसा लगा रहा है. अपने मित्र देश पाकिस्तान के लिए तो उसने झोली खोल रखी है. वहां चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है. श्रीलंका के हंबनटोटा और कोलंबो बंदरगाहों पर भी चीन एक तरह से कब्जा कर चुका है. वह बांग्लादेश को भी तीस्ता नदी परियोजना के लिए 1 अरब डॉलर का कर्ज दे चुका है.
चर्चा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद की रूस-यूक्रेन संकट से तुलना करने को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि दोनों जगहों की अलग-अलग चुनौतियां हैं. उन्होंने भारत की पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती नजदीकियों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि ये कहना सही नहीं है कि चीन से खराब हुए संबंधों की वजह से भारत के पश्चिमी देशों के साथ संबंध बेहतर हुए. हमारे रिश्ते जून 2020 से पहले भी अच्छे थे, जब चीन के सैनिकों ने लद्दाख घाटी में गलवान में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था. जयशंकर ने साफ कहा कि भारत और चीन के रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे हैं और इसके लिए चीन जिम्मेदार है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूएसए का बिना पायलट उड़ा अमेरिका का ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर, चीन और रूस की बढ़ी चिंता
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