नई दिल्ली. कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को 105 डॉलर प्रति बैरल के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. 8 वर्षों में पहली बार ब्रेंट क्रूड का भाव 105 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को यूक्रेन के साथ जंग का ऐलान कर दिया. रूस यूक्रेन में सैन्य अभियान चलाने जा रहा है. युद्ध की घोषणा से इस क्षेत्र एनर्जी एक्सपोर्ट में व्यवधान की आशंका बढ़ गई है.
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है. इसके अलावा यूरोप को प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जो इसकी आपूर्ति का लगभग 35% प्रदान करता है. गुरुवार को कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत 8.24 डॉलर या 8.5 फीसदी चढ़कर 105.08 डॉलर प्रति बैरल हो गई. वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड का भाव 7.78 डॉलर या 8.5 फीसदी बढ़कर 99.88 डॉलर प्रति बैरल हो गया.
भारत दुनिया का बड़ा ऑयल इंपोर्टर है. वह अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है. जरूरत का 50 फीसदी गैस भी आयात किया जाता है. रूस-यूक्रेन में संघर्ष कच्चे तेल का भाव बढ़ा है. कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगले महीने राज्य के चुनाव समाप्त होने के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी, जिससे सरकार और केंद्रीय बैंक पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का दबाव बढ़ जाएगा.
ऑयल मिनिस्ट्री के डेटा के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर 2021 के बीच भारत ने 82.4 अरब डॉलर का ऑयल इंपोर्ट किया. पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बिल में यह 108 फीसदी का उछाल है. वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच भारत ने 39.6 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था. वित्त वर्ष 2020-21 का टोटल ऑयल इंपोर्ट बिल महज 62.2 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए यह बिल 101.4 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यह बिल 112 बिलियन डॉलर था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रूस-यूक्रेन विवाद: यूक्रेन के मारियुपोल में हुए धमाके, रूसी सैनिकों की गोलीबारी की आशंका
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