यूक्रेन से भारत लौटने वाले बिहार के लोगों की यात्रा का खर्च उठाएगी नीतीश सरकार

यूक्रेन से भारत लौटने वाले बिहार के लोगों की यात्रा का खर्च उठाएगी नीतीश सरकार

प्रेषित समय :12:08:22 PM / Sat, Feb 26th, 2022

पटना. यूक्रेन संकट में घिरे बिहार के छात्रों और अन्य लोगों के वहां से निकल कर स्वदेश वापस लौटने वाले लोगों की मदद के लिए बिहार सरकार आगे आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकालकर भारत लाए जाने वाले राज्य के लोगों की यात्रा का खर्च उठाएगी. इन लोगों के आज यानी शनिवार को स्वदेश पहुंचने की उम्मीद है. सीएम नीतीश ने शुक्रवार देर रात को इसकी घोषणा की. उन्होंने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था करने पर केंद्र सरकार का आभार जताया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लेकर उड़ानें दिल्ली और मुंबई पहुंचेगी. बिहार के लोगों के यात्रा का खर्च राज्य सरकार उठाएगी. दरअसल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि माता-पिता और अभिभावक यूक्रेन से अपने बच्चों की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. पूर्वी चंपारण जिले में केसरिया की निवासी सुमित्रा कुमारी यादव ने कहा कि मेरे दो बच्चे यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. अभी तक दोनों सुरक्षित हैं लेकिन वहां की स्थिति गंभीर है.

सुमित्रा यादव कांग्रेस की स्थानीय नेता हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मेरा बेटा खारकीव में तृतीय वर्ष का छात्र है. स्थानीय सरकार की सलाह पर वो बंकरों में रहने चला गया है. लेकिन चौथे वर्ष की छात्रा मेरी बेटी ओदेसा में अपने हॉस्टल में रह रही है. उसने मुझे बताया कि उसके कॉलेज की सभी भारतीय छात्राओं ने यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने बताया कि उसके कॉलेज पर बम गिराया गया है. मेरे बेटी ने कहा कि महिला होने के कारण बंकरों में रहना उसके लिए ज्यादा असुरक्षित है. मैं उम्मीद करती हूं कि उन्हें जल्द से जल्द भारत वापस लाया जाएगा.

वहीं पूर्वी चंपारण के ही चकिया इलाके में आभूषण कारोबारी (ज्वेलर) अशोक कुमार की भी ऐसी ही स्थिति है. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा कुंज बिहारी लीव में फंस गया है. मुझे पता चला है कि वो वापस लौट रहा है. भारत वापस आने की यात्रा कठिन है लेकिन यह मेरे और मुझ जैसे अभिभावकों के लिए राहत की बात है. उन्होंने बताया कि उनके बेटे को भारत सरकार द्वारा भेजे एक विशेष विमान से वारसॉ से लाया जाएगा. लेकिन उसके तथा अन्य छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यूक्रेन से बाहर निकलना होगी. पोलैंड की सीमा कई किलोमीटर दूर है और उन्हें पैदल यह दूरी तय करनी होगी. मैं उम्मीद करता हूं कि सब ठीक रहे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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