मन की बात में बोले पीएम मोदी: ‘हमें अपनी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए, सबसे बड़ी विरासत हमारे पास

मन की बात में बोले पीएम मोदी: ‘हमें अपनी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए, सबसे बड़ी विरासत हमारे पास

प्रेषित समय :11:53:37 AM / Sun, Feb 27th, 2022

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित करे रहे है.पीएम मोदी ने कार्यक्रम में भाषा को लेकर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, 14 भाषाएं तो ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं.आजादी का अमृत महोत्सव के तहत युवा अपने तरीके से भारतीय भाषाओं के लोकप्रिय गीतों के वीडियो बना सकते हैं. 

जैसे हमारे जीवन को हमारी मां गढ़ती है, वैसे ही, मातृभाषा भी, हमारे जीवन को गढ़ती है. भारत भाषाओं के मामले में इतना समृद्ध है कि इसकी तुलना नहीं की जा सकती. हमें अपनी विविध भाषाओं पर गर्व होना चाहिए. आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि, विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है. उसी प्रकार से जितने पुराने धर्मशास्त्र हैं, उसकी अभिव्यक्ति भी हमारी संस्कृत भाषा में है.पीएम मोदी ने कहा कि हम इटली से भारत की बहुमूल्य धरोहर लाए हैं. मेरे लिए बहुत खुशी की बात है, दुनिया के लाखों लोग आयुर्वेद का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों से जरूर प्रेरणा लेने की जरूरत है.

यह इस मासिक रेडियो कार्यक्रम की 86वीं कड़ी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 फरवरी को इस महीने के ‘मन की बात’ के प्रसारण के लिए लोगों स विचार और सुझाव मांगे थे. पीएम मोदी यूपी चुनाव और यूक्रेन-रूस के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं. मन की बात कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के अलावा विभिन्न प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा. आज से कुछ दिन बाद अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मना जाएगा. आज महिलाएं हर मिथक को तोड़ रही है. देश में बेटियां सैन्य स्कूल में दाखिला ले रही है. आज देश में लिंग अनुपात सुधरा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे ही कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी. हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी. इस महीने की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया में हमें ये मिली. हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में, देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विवधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नजर आता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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