रायपुर. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में अनियमितता पर बड़ी कार्रवाई हुई है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की है. इसमें जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी शामिल हैं. एक रिटायर्ड डीएफओ से वसूली की कार्रवाई भी की जा सकती है.
मामला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के मरवाही वन मंडल से जुड़ा हुआ है. कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने ध्यानाकर्षण के जरिए यह मामला उठाया था. उनका कहना था, मरवाही वन मंडल के ग्राम चुकतीपानी, टाड़पथरा, पकरिया, केंवची, पंड़वनिया और तराईगांव में पुलिया और स्टापडैम का निर्माण कराना था. इन गांवों में 33 काम के लिए सामग्री की राशि निकालकर गबन कर लिया गया, जबकि काम हुआ ही नहीं है. गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही कलेक्टर की जांच में यह साबित भी हो गया है.
जवाब में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया, मरवाही के वन मंडलाधिकारी ने नियमों का उल्लंघन किया है. वन और पंचायत दो विभागों के बीच का मामला होने की वजह से कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है. उसके बाद विपक्ष के विधायक भी खड़े हो गए. उनका कहना था, जब अनियमितता साबित हो गई तो दोषी अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा है.
मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, हमारे काम करने की एक सीमा है. हम प्रथम श्रेणी के अधिकारियों और रिटायर्ड डीएफओ पर कैसे कार्रवाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा, प्रथम श्रेणी के अधिकारियों का मामला उनके विभागों में समन्वय के लिए भेजेंगे. शेष 14 लोगों को निलंबित कर दिया जाएगा. इस मसले पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी हस्तक्षेप किया. उन्होंने कहा, आप जिम्मेदारों को निलंबित कर सामान्य प्रशासन विभाग को सूचना भेज सकते हैं. इसके बाद सिंहदेव ने कहा, अगर ऐसा हो सकता है तो मैं जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ सहित 15 अधिकारियों-कर्मचारियों के निलंबन की घोषणा करता हूं.
कार्रवाई की जद में आए अफसर अभी जांजगीर-चांपा के सीईओ
निलंबन की कार्रवाई की जद में आए गजेंद्र सिंह ठाकुर अभी जांजगीर-चांपा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ठाकुर के बिलासपुर जिला पंचायत सीईओ रहते हुए मनरेगा में यह गड़बड़ी हुई थी. कलेक्टर की जांच में भी उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं. प्राथमिक जांच में दोषी दिख रहे अधिकारियों-कर्मचारियों को इस घोटाले का जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की गई है. ठाकुर को मई 2020 में बिलासपुर का सीईओ बनाया गया था. दिसम्बर 2020 में उन्हें वहां से हटाकर जांजगीर-चांपा भेज दिया गया. पोस्टिंग के 8 महीनों में ही यह बड़ा खेल हो गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अब छत्तीसगढ़ में होगी आप की एंट्री, केजरीवाल ने किया विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान
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