बक्सर. बिहार के बक्सर जिले के एक खेत ने सोना उगला है. रविवार को किसान सब्जी उगाने के लिए खेत में खुदाई कर रहा था, तभी अचानक से जमीन से सोने के 3 सिक्के निकल गए. महिला को कुछ समझ नहीं आया. उसे उम्मीद ही नहीं थी की ये सोना हो सकता है. अब कोई इसे केशवा महाराज से जोड़कर देख रहा है तो कोई राक्षस की कहानियां बता रहा है.
मामला बक्सर के गिरिधर बराव गांव का है. यहां खेत में खुदाई के दौरान सोने के तीन प्राचीन सिक्के मिले हैं. खेत से सोना निकालने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई. इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने खेत की घेराबंदी कर दी और सिक्कों को जब्त कर लिया है. पुरातत्व विभाग की टीम इस जगह की जांच करेगी और उसके बाद पता चलेगा कि यहां और भी प्राचीन चीजें है या नहीं. पर फिलहाल यह गांव सोने की वजह से सुर्खियों में आ गया है.
खेत एक इंच खोदा और चमकती हुई चीज दिखी
जिस खेत से सोने के सिक्के मिले हैं, वो बिहारी साह और हरिहर साह का है. जिस पर गांव के ही धंनेश्वर महतो की पत्नी बिहसी देवी और उसका बेटा भीम महतो बटइया (आधी-आधी फसल पर खेती करना) पर सब्जी की खेती कर रहे थे. रविवार को बिहसी अपने बेटे के साथ सब्जी की फसल उगाने के लिए खेत में बांस-बल्ली गाड़ रही थी. उसने खुर्पी से जमीन के ऊपर की घास हटाकर गड्ढा करना शुरू ही किया था, कि एक इंच खोदने पर ही उसे चमकती हुई चीज दिखाई दी.
उसने बताया कि उसे समझ ही नहीं आया कि ये क्या है. उसने कभी सोचा भी नहीं था कि खेत से सोने के सिक्के निकल जाएंगे. आसपास खेत में काम कर रहे लोगों को जब इस बारे में बताया तो वो बोले हमें सुनार के पास चलना चाहिए. इसके बाद हम सब सुनार के पास गए तो पता चला की ये सोना है. मैं तो हैरान ही रह गई. इसके बाद गांव के ही लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी.
इस खेत के आसपास पुलिस बल तैनात किया गया है. लोगों को खुदाई करने से मना किया गया है. पुरातत्व विभाग की टीम के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है. एक सिपाही ने बताया कि हम लोग रविवार से ही इस जमीन की देख-रेख में तैनात हैं. आगे पदाधिकारियों के दिशा निर्देश का इंतजार कर रहे हैं.
सिक्के मिलने के बाद शुरू हुई केशवा महाराज की कहानी
बरामद सिक्कों को चेरो खरवार ओके प्रसिद्ध राजा केशवा महाराज के काल से जोड़कर देखा जा रहा है. जानकारों की मानें तो जहां से सोने के सिक्के मिले हैं, वहां से महज 5 किलोमीटर दूर तकरीबन 600 साल पहले चेरो खरवार के वंशज रहते थे. चेरो खरवार के वंशजों के यहां से चले जाने के बाद रसीदपुर गांव के पास नदी बहा करती थी, जिसमें बाढ़ आने के बाद रसीदपुर के लोग गढ़ के आसपास के हिस्सों में आकर रहने लगे. लोगों का मानना है कि चेरो खरवार के राजा का नाम केशवा था. उनके नाम पर रसीदपुर का नाम केसठ रखा गया. इन्हीं लोगों के सोने के सिक्के इस क्षेत्र में आए होंगे.
केसवा नाम के राक्षस की बातें भी अब शुरू हुईं
कुछ बुजुर्गों की मानें तो यहां केसवा नाम का राक्षस रहता था. इसके नाम पर केसठ नाम रखा गया. ऐसे गढ़ से सटे लोगो को मां भवानी का मंदिर मिला था, जो टूटा फूटा अवस्था में था. उसे ग्रामीणों के सहयोग से ठीक किया गया. लोग बताते हैं कि पहले राक्षस ही भवानी की पूजा अर्चना करते थे जो गढ़ के पास मां भवानी के मंदिर से राक्षस के यहां रहने की ओर इशारा करता है. वहीं, कई वर्षों तक केसठ में जमीदारों का राज रहा जो धोरे-धीरे यहां से शहरों की ओर पलायन कर गए. केसठ गांव का नाम प्राचीन समय में रसीदपुर था. लोगों के अनुसार, सिक्के उसी समय के होंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः बिहार में सत्ता का समीकरण बदलेगा? छोटे दल अलग हुए तो मुश्किल बढ़ेंगी!
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