कृषि कानूनों में इतना ही दम है, तो जनमत संग्रह क्यों नहीं करवाती पीएम मोदी सरकार?

कृषि कानूनों में इतना ही दम है, तो जनमत संग्रह क्यों नहीं करवाती पीएम मोदी सरकार?

प्रेषित समय :08:59:22 AM / Wed, Mar 23rd, 2022

प्रदीप द्विवेदी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद रद्द हो चुके तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि- कृषि कानूनों में इतना ही दम है, तो जनमत संग्रह क्यों नहीं करवाती पीएम मोदी सरकार? ऐसे किसी भी कानून को लेकर दो बातें बेहद महत्वपूर्ण हैं.... 

एक- पूरे देश को प्रभावित करने वाले कृषि कानूनों जैसे किसी भी कानून को तब तक जनता पर नहीं लादा जाना चाहिए, जब तक जनमत संग्रह के जरिए ऐसे कानून के हक में दो तिहाई बहुमत हासिल नहीं हो? 

दो- कोई भी केंद्र सरकार जुगाड़ के बहुमत के दम पर नहीं, बल्कि ऐसे कानून को तब लागू करें, जब उसने देश में लोकसभा चुनाव में कुल मतदान में से दो तिहाई मत प्राप्त किए हों?
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की धमकी दी है, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि- समिति कृषि कानूनों को निरस्त करने के पक्ष में नहीं थी.

जाहिर है, ऐसे में किसान नेताओं को एक बार फिर कृषि कानूनों को वापस लाए जाने की आशंका है!
याद रहे, किसान आंदोलन के दौरान किसानों को किए गए अनेक वादे पीएम मोदी सरकार पहले ही ठंडे बस्ते में डाल चुकी है? भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया- तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे, इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी! 

उल्लेखनीय है कि समिति ने इस रिपोर्ट को पिछले साल 19 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की समिति के सदस्य और किसान नेता अनिल घनवट ने इसे सार्वजनिक किया है? अनिल घनवट का कहना है कि- उन्होंने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी, लेकिन सर्वाेच्च अदालत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी! 

सियासी सयानों का मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार कृषि कानून के मुद्दे पर हार स्वीकार करते हुए सियासी हथियार डाल दिए थे और तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान किया था? देखना दिलचस्प होगा कि इन कानूनों को लेकर पीएम मोदी अपनी जिद कैसे पूरी करते हैं?

कृषि कानून 20, तो किसान आंदोलन 21....
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1490868785082875907
 
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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