नजरिया. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती था- किसान आंदोलन.
हालात यह थे कि पंजाब, यूपी के गांवों में बीजेपी के नेताओं के लिए जाना मुश्किल था, यही वजह भी रही कि अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी ने सियासी हथियार डाल दिए और तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान कर दिया.
बावजूद इसके, पंजाब में तो बीजेपी के लिए कुछ खास संभावना नहीं बनी, परन्तु यूपी में राजनीतिक राहत मिलने की उम्मीद लग रही है.
कृषि कानून रद्द करना कितना असरदार रहा, यह विधानसभा चुनावों के नतीजों से ही साफ होगा.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कृषि कानून रद्द करना एक अच्छा निर्णय था, लेकिन यह निर्णय करने में बहुत देर की गई, इसलिए मुफ्त राशन और बेहतर प्रशासन का पूरा लाभ बीजेपी को मिल पाएगा, इसमें संदेह है.
उल्लेखनीय है कि किसान नेेता राकेश टिकैत तो किसान आंदोलन स्थगित होने के बाद भी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ही रहे हैं.
यूपी में यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी के शासन-प्रशासन से जनता कितनी खुश है और किसान आंदोलन, महंगाई, बेरोजगारी आदि के कारण मोदी सरकार से कितनी नाराज है?
एग्जिट पोल! बोले तो.... सर्वे का असली मजा?
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Rakesh Tikait @RakeshTikaitBKU
देश की सीमा और खेती की पहरेदारी के अलावा वोट की पहरेदारी के लिए भी तैयार रहें किसान, छलिया नेताओं का कोई भरोसा नहीं!
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