नजरिया. राजनीति में समय पर निर्णय का बहुत महत्व है और जो सियासी समय के बदलाव को देख नहीं पाता है, उसका समय भी बदल जाता है?
कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार में मुकेश सहनी के साथ!
एक समय था जब सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों मुकेश सहनी को अपने साथ रखने को तैयार थे, लेकिन अब सत्ता पक्ष ने तो उनसे सियासी आंखें फेर लीं ही हैं, विपक्ष भी कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है, वजह?
समर्थन के लायक उनके पास अब बचा ही क्या है?
खबर है कि बीजेपी की ओर से वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी की पार्टी के तीनों विधायकों अपने पाले में कर लेने के बाद मुकेश सहनी का सियासी वजन बहुत कम हो गया है, यही वजह है कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सहनी प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि- सहनी अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं?
खबरों की मानें तो राबड़ी देवी ने कहा कि सहनी ने जो किया है, वो उसी के परिणाम में घूम रहे हैं. बिहार की मौजूदा जेडीयू-बीजेपी सरकार के लोगों ने उनके पीठ में छुरा घोपा है!
सियासी सयानों का मानना है कि बगैर सोचे-समझे बयान देनेवाले और सही समय पर सही निर्णय नहीं कर पाने वाले राजनेता अक्सर राजनीतिक कटी पतंग बन जाते हैं?
नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाएं कि.... मुकेश सहनी की सुनें?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाएं कि.... मुकेश सहनी की सुनें? news in hindi https://t.co/VyUIgcd9jY
— Palpalindia.com (@PalpalIndia) March 25, 2022
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