जबलपुर कलेक्टर के आदेश की उड़ाई धज्जियां, एक निजी स्कूल स्वयं की दुकान खोलकर बेचने लगा किताबें..!, देखें वीडियो

जबलपुर कलेक्टर के आदेश की उड़ाई धज्जियां, एक निजी स्कूल स्वयं की दुकान खोलकर बेचने लगा किताबें..!, देखें वीडियो

प्रेषित समय :18:46:34 PM / Sat, Mar 26th, 2022

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में एक नामचीन निजी स्कूल कमाई का नया तरीका तलाश लिया है, स्कूल ने विकास आशा केन्द्र के नाम से मिशन कम्पाउंड के पास अपनी दुकान खोल ली है, जहां से स्कूल प्रबंधन द्वारा अपने कर्मचारी खड़े कर पुस्तकें व कापियां बेची जा रही है. खासबात तो यह है कि कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा था कि हर स्कूल सूचना पटल पर कम से कम पांच पुस्तक विक्रेताओं के नाम प्रदर्शित करेगा, यहां पर कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूल प्रबंधन ने नया तरीका निकालकर स्वयं की दुकान खोलकर कापी-किताबें बेचना शुरु कर दिया.

बताया जाता है कि जबलपुर में कलेक्टर हो या जिला शिक्षा अधिकारी जिनके आदेश को शहर का एक नामचीन स्कूल नहीं मानता है, वह अपने नियम स्वयं बनाता है, पिछले दिनों कलेक्टर ने एक आदेश निकाला जिसमें कहा गया कि निजी स्कूल अपने यहां पर कम से कम पांच दुकानों की सूची प्रदर्शित करें जहां से अभिभावक अपने बच्चों के लिए कापी-किताबें खरीद सके,  इस आदेश के बाद शहर के इस नामचीन स्कूल ने स्वयं की ही दुकान मिशन कम्पाउंड के विकास आशा केन्द्र के नाम से खोल ली, जहां से स्कूल प्रबंधन ने अपने कर्मचारी को बिठाकर कापी किताबें बेचना शुरु कर दिया है, क्योंकि यहां से कापी किताबें बिकने से स्कूल प्रबंधन को सीधे तौर पर करोड़ों रुपए की कमाई होगी, स्कूल प्रबंधन ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से काम किया है जिससे सीधे तौर पर कोई उंगली न उठा सके, लेकिन यह बात अभिभावक बेहतर जानते है कि यह सबकुछ स्कूल प्रबंधन द्वारा ही किया जा रहा है क्योकि स्कूल में लगने वाली किताबें शहर की किसी अन्य दुकान में नहीं मिलेगी तो अभिभावक को विकास आशा केन्द्र ही आना पड़ेगा, विकास आशा केन्द्र के नाम से खोली गई दुकान पर जब अभिभावकों ने पहुंचकर चर्चा की तो वहां पर उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि इस बात स्कूल प्रबंधन द्वारा ही कापी किताबें बेची जा रही है, स्कूल में लगने वाली सीबीएसई, आईएससी व आईएससी किताबें यहां से ही प्राप्त होगी, जिसपर विकास आशा केन्द्र केन्द्र द्वारा अभिभावकों को दस प्रतिशत डिस्काउंट भी दिया जा रहा है, उन्होने यह भी जानकारी दी कि अभी पहली से आठवीं कक्षा तक की किताबों की बिक्री की जा रही है, 31 मार्च के अन्य कक्षाओं की किताबे भी मिलना शुरु हो जाएगी, कुल मिलाकर एक ही स्थान से सारी सामग्री मिलेगी. सूत्रों की माने तो इस नामचीन स्कूल ने कलेक्टर के आदेश की बड़े ही सुनियोजित तरीके से धज्जियां उड़ाई है, जिससे किसी को कुछ समझ भी न आ सके. स्कूल परिसर में पांच दुकानों के नाम तो प्रदर्शित किए जाएगे, लेकिन अभिभावक को किताब तो विकास आशा केन्द्र से ही खरीदना पड़ेगी क्योंकि इन पांच दुकानों में जब अभिभावक पहुंचेगें तो स्कूल में लगने वाली किताबें वहां नही होगी तो लौटकर यहां पर आना ही होगा.

8 हजार बच्चे अध्ययनरत है स्कूल में-

सूत्रों की माने तो शहर के इस नामचीन स्कूल में एल केजी से 12वीं कक्षा तक के करीब 8 हजार बच्चे अध्ययनरत है, जिनकी कापी किताबों का सेट 35 सौ से 45 सौ रुपए तक का होगा है, इस हिसाब से देखा जाए तो स्कूल प्रबंधन द्वारा अप्रत्यक्ष रुप से खुलवाई गई इस दुकान से करीब 3 से 3.50 करोड़ रुपए की कमाई होगी, पब्लिशर्स का खर्च निकालने के बाद देखा जाए तो स्कूल प्रबंधन करीब 1.50 करोड़ रुपए अघोषित रुप से कमाएगा, जो सीधे तौर पर स्कूल के मुखिया के जेब में ही जाएगा. खासबात तो यह है कि स्कूल के मुखिया लम्बे समय से विवादों से घिरे रहे, जो आज एक बार फिर चर्चाओं में है.

अभिभावक ने विरोध किया तो बच्चे को दे दी जाती है टीसी-

सूत्रों की माने तो स्कूल प्रबंधन द्वारा हर वर्ष बढ़ाई जाने वाली फीस वृद्धि का मामला हो गया, अन्य मदों में ली जाने वाली राशि का मामला, आज तक कोई विरोध नहीं कर पाया है, क्योंकि जिन अभिभावकों ने विरोध किया तो उनके बच्चे को स्कूल में तरह तरह से परेशान करना शुरु कर दिया गया, यहां तक कि अभिभावकों को टीचर्स मीटिंग में यह क ह दिया कि बच्चा कमजोर है कहकर टीसी दे दी जाती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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