नजरिया. वर्ष 2014 के बाद से बीजेपी में बड़ा बदलाव आ रहा है, बीजेपी के अनेक प्रमुख नेता राजनीति की मुख्यधारा से दूर कर दिए गए हैं, तो बीजेपी में गैर-भाजपाई नेता, जो 2014 के बाद बीजेपी में आए हैं, उनका सियासी दबदबा बढ़ता जा रहा है, नतीजा? मूल भाजपाई मुक्त हो रही है भाजपा!
खबर है कि यूपी की योगी सरकार 2.0 की कैबिनेट में आधे से ज्यादा वे गैर-भाजपाई हैं, जो 2014 के बाद भाजपा में आए हैं?
मूल भाजपाइयों के लिए यह उलझन का सबब हो सकता है कि इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं!
खबरों की मानें तो 2017 में योगी मंत्रिमंडल में 70 प्रतिशत के सापेक्ष इस बार बीजेपी काडर की स्ट्रेंथ घटकर पचास प्रतिशत से भी कम रह गई है?
उल्लेखनीय है कि योगी मंत्रिमंडल के 53 सदस्यों ने शुक्रवार को शपथ ली, जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा दो उपमुख्यमंत्री- केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी शामिल हैं.
मजेदार बात यह हे कि इस बार उपमुख्यमंत्री बने ब्रजेश पाठक 2017 में बीएसपी से बीजेपी में आए थे!
खबरें हैं कि 16 कैबिनेट मंत्रियों में से इस बार 7 नेता- सूर्य प्रताप शाही, सुरेश कुमार खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्य, धर्मपाल सिंह, भूपेंद्र सिंह चौधरी और योगेंद्र उपाध्याय ही पुराने भाजपाई हैं, जबकि 2017 में 22 कैबिनेट मंत्रियों में से 16 नेता पुराने भाजपाई थे?
इस बार 9 कैबिनेट मंत्रियों में दो- अपना दल से आशीष पटेल और निषाद पार्टी से संजय निषाद बीजेपी के सहयोगी दलों से हैं, जबकि सात नेता- चौधरी नारायण, जयवीर सिंह, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, अरविंद कुमार शर्मा और अनिल राजभर वर्ष 2015 के बाद बीजेपी में आए थे!
सियासी सयानों का मानना है कि जिस तरह से पुराने भाजपाइयों का महत्व कम हो रहा है, भविष्य में उसका बड़ा नुकसान बीजेपी को होगा, क्योंकि इससे पुराने भाजपाइयों में सियासी उदासीनता बढ़ रही है, जबकि सियासी समय बदला तो बीजेपी में आए दलबदलु तो कभी भी बीजेपी का साथ छोड़ कर चल देंगे?
पश्चिम बंगाल में ऐसा हो चुका है!
एक फिल्म- हरेन पंड्या फाइल्स भी बननी चाहिए?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाएं कि.... मुकेश सहनी की सुनें?
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