लखनऊ. नई सरकार बनते ही उत्तराखंड में बिजली महंगी होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें बढऩे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. सिंचाई की छोड़कर घरेलू सहित अन्य सभी श्रेणियों की बिजली की दरों में अबकी थोड़ी-बहुत बढ़ोत्तरी तय मानी जा रही है. बढ़ी हुई बिजली की दरें जून से लागू हो सकती हैं.
18वीं विधानसभा के गठन के लिए मतदान खत्म होते ही बिजली कंपनियों द्वारा आठ मार्च को मौजूदा वित्तीय वर्ष-2022-23 के लिए दाखिल 85,500 करोड़ रुपये एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव का अध्ययन कर विद्युत नियामक आयोग ने अब स्लैबवार टैरिफ प्लान मांगा है. प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति के लिए अबकी 65 हजार करोड़ रुपये से लगभग 1.20 लाख मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली खरीदी जानी है.
मौजूदा बिजली दर से मिलने वाले राजस्व और खर्च का अनुमान लगाते हुए कंपनियों ने एआरआर में लगभग 6700 करोड़ रुपये का गैप बताया है. आयोग ने कंपनियों से गैप की बिना सब्सिडी भरपाई के लिए अलग-अलग श्रेणीवार बिजली की प्रस्तावित दरों का विस्तृत ब्योरा मांगा है. आयोग ने प्रस्ताव में सैकड़ों और भी कमियां गिनाते हुए कंपनियों से दस दिन में उन सब पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
गौर करने की बात यह है कि पहली बार आयोग ने राजस्व गैप को शून्य दिखाते हुए बिना सब्सिडी के बिजली दर का प्रस्ताव उपलब्ध कराने का आदेश कंपनियों को दिया है. जवाब मिलते ही आयोग प्रस्ताव स्वीकार कर दरों को अंतिम रूप देने के लिए जन सुनवाई आदि करेगा. प्रस्ताव स्वीकाराने की तिथि से नियमानुसार अधिकतम 120 दिनों में आयोग को टैरिफ आर्डर करना होता है. ऐसे में तय माना जा रहा है कि नई दरें जून या फिर जुलाई से लागू हो जाएंगी.
घटाई जाए मौजूदा बिजली दर
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली की दरें बढऩे के बजाय घटनी चाहिए. उन्होंने बताया कि विद्युत उपभोक्ताओं का पूर्व में बिजली कंपनियों पर 20,500 करोड़ रुपये निकलने के एवज में बिजली दर कम करने संबंधी उनकी याचिका पर नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से जवाब-तलब कर रखा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मप्र विद्युत नियामक आयोग ने घोषित किया टैरिफ, 2.64 प्रतिशत बढ़े बिजली के दाम
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