नई दिल्ली. सुपरटेक ट्विन टावर के घर खरीदारों के लिए राहत वाली खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक लिमिटेड की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के 40 मंजिला ट्विन टावरों के घर खरीदारों के हितों की रक्षा करेगा, जिसे अब एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित कर दिया है और कोर्ट ने ट्विन टावरों में फ्लैट खरीदने वालों से 15 अप्रैल तक भुगतान वापसी के लिए दावा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
वहीं सुपरटेक लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगभग 432 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान न करने के लिए दायर याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के दिवालिया घोषित करने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने सुपरटेक के पूर्व प्रबंधन और न्याय मित्र गौरव अग्रवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस गणेश की दलीलों पर गौर किया कि ट्विन टावरों के कुल 711 घर खरीदार थे, जिनमें से कंपनी ने 652 घर खरीदारों के दावे का निपटारा कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह संज्ञान लिया गया कि इस तरह 59 घर खरीदारों को अब भी फ्लैट खरीद की रकम वापस की जरूरत है. एमिकस क्यूरी नोट के अनुसार, यह बकाया राशि करीब 14.69 करोड़ होगी. शीर्ष अदालत ने सुपरटेक को दिवालिया घोषित किए जाने के आदेश को भी सुनवाई के दौरान संज्ञान में लिया, जिसमें कहा गया था कि एनसीएलटी ने 25 मार्च, 2022 को एक आदेश पारित किया है, जिसके द्वारा सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक कॉर्पोरेट दिवाला घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है और आईआरपी हितेश गोयल को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया गया है.
कोर्ट ने कहा कि घर खरीदारों के दावों की राशि को वित्तीय ऋणदाताओं के दूसरे दावों से अलग रखा जाएगा और इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी. बता दें कि बीते दिनों राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर दी. सुपरटेक समूह की इस कंपनी के लिए पिछले एक साल में लगा यह दूसरा बड़ा झटका है. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त, 2021 को सुपरटेक लिमिटेड के दो 40 मंजिला टावरों को गिराने का आदेश दिया था.
एनसीएलटी की एक पीठ ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक मंडल के स्थान पर एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त करने की मंजूरी दे दी. बैंक ने अपनी याचिका में कंपनी के दिवालिया होने का दावा किया था. सुपरटेक लिमिटेड पर करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। इसमें से करीब 510 करोड़ रुपये का कर्ज यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने दिया था.
वहीं सुपरटेक ग्रुप ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए एक बयान में कहा कि वह इस आदेश को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष चुनौती देगा. इसके साथ ही उसने इस आदेश का समूह की अन्य कंपनियों के कामकाज पर कोई असर न पड़ने का भी दावा किया. सुपरटेक ग्रुप के प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा ने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड की करीब 11-12 आवासीय परियोजनाओं के खिलाफ कर्ज समाधान प्रक्रिया शुरू की गई है लेकिन इनमें से करीब 90 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं.
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