नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ CBI से जांच नहीं कराए जाने वाली राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि SIT बना कर जांच उसे सौंपी जाए. महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि CBI निदेशक एस के जायसवाल राज्य के डीजीपी रह चुके हैं. ऐसे में राज्य के पुलिस अधिकारियों से जुड़ी जांच निष्पक्ष नहीं रह सकती. गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने देशमुख पर लगाए गए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों की प्राथमिक जांच करने का सीबीआई को निर्देश दिया था. परमबीर ने देशमुख पर गृह मंत्री रहते 100 करोड रुपये प्रति माह की वसूली करने समेत भ्रष्ट आचरण के कई आरोप लगाए थे. वहीं इस संबंध में अनिल देशमुख ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में देशमुख ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 5 अप्रैल को बिना उनका पक्ष सुने उनके खिलाफ जांच किये जाने का एकतरफा आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने बिना किसी उचित वजह के राज्य सरकार और वहां की पुलिस पर अविश्वास जताया. परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से अपने तबादले से नाराज़ होकर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं लेकिन हाई कोर्ट ने बिना सभी पक्षों को सुने और तथ्यों की पड़ताल किए सीबीआई को मामला सौंप दिया. परमबीर ने पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी थी. हाई कोर्ट ने आदेश देते समय जयश्री पाटिल नाम की वकील की तरफ से पुलिस को सौंपी गई शिकायत को आधार बनाया है. देशमुख ने सीबीआई की विश्वसनीयता को भी संदिग्ध बताया है.
महाराष्ट्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि उसने परमबीर के आरोपों को गंभीरता से लिया. उनकी जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की कमेटी का गठन किया. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को सीधे एफआईआर दर्ज करने को तो नहीं कहा लेकिन प्राथमिक जांच के लिए कह दिया. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का बेवजह अतिक्रमण है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट का पीएम केयर्स फंड केस पर सुनवाई से इनकार: दिल्ली HC जाने की दी सलाह
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