पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी 2019 के परीक्षा परिणाम को निरस्त कर दिया है, यह मामला संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 से जुड़ा है, जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है, इनमें एसडीएम व डीएसपी जैसे महत्वपूर्ण पद भी शामिल रहे. एमपीपीएससी 2019 को लेकर हाईकोर्ट में एक साथ 58 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 31 मार्च को ही सुनवाई पूरी होने पर फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसपर आज 89 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया गया, आदेश के आधार पर हाईकोर्ट ने 2019 की परीक्षा के मुख्य व प्रारम्भिक परीक्षा परिणामों को निरस्त कर दिया है, इसके साथ ही पुराने नियमों के अनुसार फिर से नया रिजल्ट तैयार करने के आदेश दिए है. प्रारम्भिम परीक्षा का फिर से परिणम तैयार होगा इसमेें जो सफल होगे उसके अनुसार ही मुख्य परीक्षा कराई जाएगी. याचिका के माध्यम से पीएससी 2019 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वरसिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) और संशोधन दिनांक 17 फरवरी 2020 सहित रिजल्ट को चुनौती दी थी. मामले में लगभग 60 छात्र-छात्रओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं.
हाईकोर्ट ने 31 मार्च को अंतिम सुनवाई पूरी कर ली थी, जिसमें 49 प्रकरणों को वरीयता के आधार पर निर्णय करने सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को कहा था, मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया था कि एमपीपीएससी 2019 में पीएससी द्वारा साक्षात्कार तक किए जा रहे है, जिसपर हाईकोर्ट ने उक्त प्रक्रिया को भी निर्णय के अधीन कर दिया था, एमपीपीएससी 2019 की प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा के परिणाम को लेकर यह आरोप था कि विवादित नियमों के तहत परिणाम जारी किए गए थे. आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल न करने का नियम बना था. इसी को याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. सरकार 17 फरवरी 2020 को संशोधित नियम लाई थी. सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब प्रस्तुत करते हुए विवादित नियमों को वापस लेने की बात कही थी, फिर भी 31 दिसम्बर 2021 को पीएससी 2019 प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के रिजल्ट विवादित नियमों के तहत जारी कर दिए गए थे. हाईकोर्ट ने पुराने नियमों के तहत पुन: रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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