कोलंबो. श्रीलंका के आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है. प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सरकारी सचेतक जॉनसन फर्नांडो के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. फर्नांडो ने कहा था कि राष्ट्रपति किसी भी हाल में इस्तीफा नहीं देंगे. इस बीच एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु ने घोषणा कर बताया था कि महानायकों ने भी सरकार से इस्तीफा देने को कहा है. इससे भी दबाव बढ़ गया है. हालांकि ये हमेशा से ही राजपक्षे के समर्थक रहे हैं, लेकिन यदि भिक्षु का कथन सही है तो यह और भी अधिक लोगों को प्रदर्शनकारियों के साथ विरोध में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है.
इस विरोध प्रदर्शन में समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से शिक्षित युवाओं और पेशेवरों की भागीदारी हो गई है. सरकार विरोधी आंदोलन के गैर-राजनीतिक चरित्र ने सरकार के लिए स्थिति को संभालना और अधिक कठिन बना दिया है. श्रीलंका में इस तरह का व्यापक जन-विद्रोह पहले कभी देखा नहीं गया. यदि बिजली, ईंधन और वित्तीय संकट से जल्द राहत नहीं मिली तो इसके परिणाम कुछ भी हो सकते हैं. वहीं, देश का विपक्ष भी अराजकता में और इजाफा कर रहा है. कुछ समय पहले तक राष्ट्रपति पर कई आरोप लगाने वाला विपक्ष, जनता को आर्थिक संकट से बचाने के लिए राजपक्षे की जगह लेने को तैयार नहीं है.
इधर, एक नवीनतम घटनाक्रम में, एशियाई विकास बैंक ने 2022 में श्रीलंका की आर्थिक वृद्धि को 2.4% तक कम करने और अगले वर्ष में मामूली सुधार करके 2.5% करने का अनुमान लगाया है. आर्थिक संकट से उबरने के लिए, राजपक्षे ने राष्ट्रपति सलाहकार समूह के सदस्यों के रूप में आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञों की एक टीम नियुक्त की है. यह टीम ऋण संकट से निपटने के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए बहुपक्षीय जुड़ाव और ऋण स्थिरता पर काम करेगी. उन्होंने डिप्टी स्पीकर का इस्तीफा स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया और उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध किया है. बंदुला गुणवर्धने, जिनका नाम वित्त मंत्री के लिए प्रस्तावित किया गया था, ने अभी तक पद स्वीकार नहीं किया है. सेंट्रल बैंक के गवर्नर और ट्रेजरी सचिव के पद भी खाली हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-श्रीलंका में 36 घंटे का कर्फ्यू हटा, बनेगी नई कैबिनेट, PM महिंदा राजपक्षे आज कर सकते हैं संबोधित
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