पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में एक ही परिवार में जन्मी दो बहनों का जन्म से ब्रेन नहीं है, ये एक ऐसी बीमारी है जिसका दुनिया में कही भी इलाज नहीं है, इसके बाद भी माता-पिता दोनों बच्चिों की जिंदगी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं, आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि दिव्यांग बच्चियों को जीवन भर पाल सके, ऐसे में माता-पिता ने कलेक्टर इलैया राजा टी से मुलाकात की है, जिन्होने एक बच्ची के लिए 600 रुपए पेंशन की व्यवस्था कर दी है, वहीं दूसरी बच्ची के लिए अभी पांच साल इंतजार करना होगा.
बताया गया है कि जबलपुर के मंडी मदार टेकरी में रहने वाले शाहिद कुरैशी की तीन बेटियां है, जिसमें दो बेटियों का ब्रेन ही नही है, एक बेटी 15 वर्ष की हो चुकी है, दूसरी की उम्र 3 वर्ष है, जन्म से ब्रेन न होने के कारण उनके शरीर में थोड़ी सी भी हलचल नहीं है, उन्हे जिस हालात में छोड़ दो वैसी की पड़ी रहती है. पिता शाहिद ने अपनी हैसियत के अनुसार दोनों बेटियों के इलाज में लाखों रुपए खर्च कर दिए, इसके बाद भी जरा सा भी फायदा नहीं हुआ. बल्कि शाहिद कुरैशी की आर्थिक स्थिति जरुर बिगड़ गई, दोनों बेटियां पानी व दूध पर ही निर्भर है, दोनों को भोजन के नाम पर प्रतिदिन 3 लीटर दूध दिया जाता है. इसके बाद भी परिवार को यही भरोसा है कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनकी बेटियां स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीने लगे. शाहिद दोनों बेटियों को लेकर दिव्यांग शिविर भी पहुंचे थे, इसके बाद उन्होने पिछले दिन कलेक्टर इलैयाराजा टी से मुलाकात की, जिन्होने बच्चियों की हालात को देखते हुए 600 रुपए मासिक पेंशन बड़ी बेटी के लिए स्वीकृत की है, वहीं दूसरी बेटी के लिए अभी इंतजार करना होगा, इसके अलावा निरामय योजना के तहत एक लाख रुपए बीमा कराने के भी निर्देश दिए है. जिसके चलते ओपीडी, इलाज, दवाइयां सहित फिजियोथेरेपी की सुविधा मिलेगी. इसके अतिरिक्त कलेक्टर ने रेडक्रॉस से 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पश्चिम बंगाल से जबलपुर रिसर्च करने आई युवती ने टीएफआरआई छात्रावास में फांसी लगाकर की आत्महत्या..!
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