नई दिल्ली. मुझे पीटा गया था. घंटों तक बाथरूम में बंद रखा गया. मैं अपनी मां से बात नहीं करना चाहता. एक बेटे ने सोमवार को अपने दर्दनाक बचपन को याद करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया. जिसके माता-पिता अलग रहते हैं. वे दो दशक से तलाक के मुकदमे में उलझे हुए हैं. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने बच्चे को उसकी मां से बात करने के लिए मनाने की कोशिश की.
दरअसल शीर्ष अदालत एक वैवाहिक विवाद मामले की सुनवाई कर रही थी. जिसमें पति पिछले दो दशकों से अपनी पत्नी से तलाक की मांग कर रहा है. उसकी पत्नी इसका विरोध कर रही है. जब मां का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने पीठ से कहा, उसे अपने बेटे से बात करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वह अपने पिता के साथ रहता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने बेटे को अपनी मां से बात करने को कहा. 27 वर्षीय लड़के ने कोर्ट को बताया कि उसकी मां 7 साल की उम्र में उसे पीटती थीं. उसे घंटों बाथरूम में बंद रखती थी.
लड़के की अपनी समझ है
लड़के ने कहा कि मां से बात करके मेरी दर्दनाक यादें वापस आती है. कौन मां अपने 7 साल के बेटे को पीटती है. जब वह बाहर जाती थी, तो मैं घंटों तक बाथरूम में बंद रहता था. मेरे पिता ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया. महिला के वकील ने कहा, 'बेटा स्क्रिप्टेट कहानी बता रहा था. ऐसा कुछ नहीं हुआ.' पीठ ने कहा कि वह 27 साल का लड़का है. उसकी अपनी समझ है. उसे कहानी कहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
एक महीने बाद कोर्ट करेगी मुलाकात
पति की ओर से पेश अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने कहा कि महिला ने अपने बेटे की कस्टडी के लिए कभी अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया. दवे ने कहा, मुवक्किल यह चाहता है कि दशकों पुराने विवाद को शांत किया जाए. इस कपल ने 1988 में शादी की थी. 2002 में पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा था. वह अलग रहने लगे. पीठ ने कहा कि वह एक महीने बाद फिर से माता-पिता और बेटे से मुलाकात करेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली दंगों के मामले में शरजील इमाम को बड़ा झटका, कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज
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