केंद्र सरकार को SC का झटका, दिल्ली के सरोजिनी नगर में 200 झुग्गियों को हटाने पर लगाई रोक

केंद्र सरकार को SC का झटका, दिल्ली के सरोजिनी नगर में 200 झुग्गियों को हटाने पर लगाई रोक

प्रेषित समय :17:03:51 PM / Mon, Apr 25th, 2022

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए राष्ट्रीय राजधानी के सरोजिनी नगर में लगभग 200 झुग्गियों को गिराये जाने के प्रस्ताव पर सोमवार को एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी. न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने झुग्गी निवासी बालिका वैशाली की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की दलीलों पर गौर किया. वैशाली की 10वीं की बोर्ड परीक्षा 26 अप्रैल से शुरू हो रही हैं. वैशाली ने पीठ से कहा कि हजारों लोग बिना किसी अन्य पुनर्वास योजना के बेदखल हो जाएंगे.

पीठ ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो मई तय की. झुग्गियों को हटाए जाने के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक सोमवार को समाप्त हो रही थी. प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को उन दलीलों पर गौर किया था कि झुग्गियों को गिराये जाने के आसन्न खतरे के मद्देनजर याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है.

शीर्ष अदालत ने हालांकि अधिकारियों को सुने बिना स्थगन को बढ़ाने से इनकार कर दिया था. गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने चार अप्रैल को झुग्गियों के सभी निवासियों को एक सप्ताह के भीतर जगह खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था.

एक अन्य फैसले में देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह अवैध कॉलोनियों के निर्माण को शहरी विकास के लिए समस्या बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि इन अवैध बसाहटों को बनने से रोकने के लिए राज्य सरकारों को व्यापक कार्ययोजना बनानी होगी. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया और उनसे यह सुझाने को कहा कि अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोकने के लिए सरकार क्या कर सकती है?

पीठ ने कहा कि इस देश के इन सभी शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह अवैध कॉलोनियों के बनने के तीव्र परिणाम आते है. हमने हैदराबाद और केरल में बाढ़ देखीं जो इन अनियमित कॉलोनियों की वजह से आईं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को इस संबंध में कार्रवाई करनी होगी. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि न्याय मित्र को समस्त रिकॉर्ड जमा कराये जाएं जो दो सप्ताह में अपने सुझाव देंगे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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