सरकार की पॉलिसी सही, लेकिन किसी को भी कोरोना वैक्सीन लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सरकार की पॉलिसी सही, लेकिन किसी को भी कोरोना वैक्सीन लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

प्रेषित समय :12:21:47 PM / Mon, May 2nd, 2022

नई दिल्ली. वैक्सीन डेटा और वैक्सीन को जरूरी बनाए जाने की मांग वाली एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की कोरोना वैक्सीन पॉलिसी को सही ठहराया है. लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि किसी भी शख्स को वैक्सीन लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को क्लीनिकल ट्रायल का डेटा जारी करने के लिए भी कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर नाराज़गी जताई कि कुछ राज्य सरकारें सार्वजनिक स्थानों पर वैक्सीन न लगाने वालों को एंट्री नहीं दे रही है. न्यायालय ने इसे अनुचित बताया. साथ ही राज्यों को ऐसे प्रतिबंध हटाने का सुझाव दिया. हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार नीति बना सकती है और जनता की भलाई के लिए कुछ शर्तें रख सकती है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मौजूदा वैक्सीन नीति को अनुचित और स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है, शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्तमान कोविड-19 वैक्सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित नहीं कहा जा सकता है. पीठ ने कहा, ‘संख्या कम होने तक, हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाए और टीकाकरण नहीं करवाने वाले व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थानों में जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. यदि पहले से ही कोई प्रतिबंध लागू हो तो उसे हटाया जाए.’

कोरोना का टीके लगवाने से किस तरह के दुष्परिणाम हो रहे हैं इसका डेटा भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सार्वजनिक करने के लिए कहा है. साथ ही क्लीनिकल ट्रायल का डेटा भी सरकार को जारी करने का आदेश दिया गया है.उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को टीका लगाने का निर्णय जागरूक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार होना चाहिए.

पीठ ने यह भी कहा कि टीका परीक्षण आंकड़ों को अलग करने के संबंध में, व्यक्तियों की गोपनीयता के अधीन, किए गए सभी परीक्षण और बाद में आयोजित किए जाने वाले सभी परीक्षणों के आंकड़े अविलंब जनता को उपलब्ध कराए जाने चाहिए. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को व्यक्तियों के निजी आंकड़ों से समझौता किए बिना सार्वजनिक रूप से सुलभ प्रणाली पर जनता और डॉक्टरों पर टीकों के प्रतिकूल प्रभावों के मामलों की रिपोर्ट प्रकाशित करने को भी कहा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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