पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि एमपीपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा 2020 में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 की जगह 14 प्रतिशत ही आरक्षण दें. प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डबल बैंच ने कहा कि सरकार एमपीपीएससी की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया के दौरान उक्त आदेश का पालन सुनिश्चित करे.
एमपी हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में समान प्रकरणों में दिए गए अंतरिम आदेश के तहत ही यह अंतरिम राहल दी गई है, मामले को अन्य प्रकरणों के साथ संलग्र करने की व्यवस्था भी दी गई है. अगली सुनवाई 22 जून को होगी. याचिकाकर्ता सतेन्द्रसिंह निवासी ग्वालियर की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता पीएससी और स्टेट फारेस्ट सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा दी थी. पीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा की चयन सूची में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया, जिसके चलते चयन नहीं हो पाया. पूर्व में इसके समान अन्य मामलों में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण देने के अंतरिम आदेश दिए गए हैं इसलिए इस प्रकरण में भी राहत दी जाए. राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अंतरिम राहत का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि परीक्षा की प्रक्रिया जारी है और अभी तक किसी को भी नियुक्ति नहीं दी गई है. वहीं कैवियटकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक शाह व उदय कुमार ने भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर बल दिया. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि कई बंच प्रकरणों में ओबीसी के आरक्षण का मुद्दा उठाया गया हैए इसलिए शासन को परीक्षा परिणाम घोषित करने के दौरान अंतरिम आदेश का पालन सुनिश्चित करना चाहिए. अधिवक्ता आदित्य संघी ने अवगत कराया कि पीएससी ने प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की चयन सूची में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया है. अगले सप्ताह से पीएससी के साक्षात्कार शुरू होने हैं. ऐसे में इस आदेश के बाद अब पीएससी को प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा की पुनरीक्षित सूची जारी करना होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपीपीएससी 2019 के परीक्षा परिणाम निरस्त, एमपी हाईकोर्ट ने कहा पुराने नियम से बनाए नया रिजल्ट
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