कोरोना काल में डिजिटल पढ़ाई से आंखों की रोशनी हुई कम, हजारों बच्चों को लगा चश्मा

कोरोना काल में डिजिटल पढ़ाई से आंखों की रोशनी हुई कम, हजारों बच्चों को लगा चश्मा

प्रेषित समय :15:07:06 PM / Tue, May 3rd, 2022

रायपुर. कोरोना काल में बच्चों को ज्यादा देर तक आनलाइन पढऩा आंखों के लिए महंगा साबित हुआ है. एक साल के भीतर छत्तीसगढ़ के 23 हजार बच्चों की आंखों की रोशनी कम हुई है. धुंधली आंखों का यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में सामने आया है. इन बच्चों की आंखों की जांच हुई है. वर्ष-2021-22 में शासकीय अस्पतालों में आंखों की समस्या लेकर 23,731 बच्चों को चश्मा लगाया गया है. ये ऐसे बच्चे हैं, जिनकी आंखें बेहद कमजोर थीं.

नेत्र चिकित्सकों का कहना है कि ओपीडी में पहले आंखों की समस्या लेकर बेहद कम बच्चे पहुंचते थे. वहीं, अब माह में 300 से अधिक पहुंच रहे हैं. जांच और काउंसलिंग में सामने आता है कि आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्या का मुख्य कारण कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल पर निर्भरता है. विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि कोरोना से पहले बच्चे शारीरिक खेल खेलते थे. वहीं, कोरोना काल में अधिकांश समय मोबाइल और कंप्यूटर पर बीता है. मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग एक निश्चित समय के लिए किया जाना जरूरी है.

46 हजार वयस्कों को लगा चश्मा

छत्तीसगढ़ अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि 46,741 वयस्कों को चश्मा लगा है. इनमें से करीब 50 प्रतिशत को कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटाप तथा शेष 50 प्रतिशत को वृद्धावस्था, मोतियाबिंद व अन्य कारणों से आंखों में रोशनी की समस्या आई है. आंखों की समस्याओं और उपचार के लिए शासकीय अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं.

90 हजार लोगों की लौटी आंखों की रोशनी

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पिछले एक साल में मोतियाबिंद का आपरेशन कर 90 हजार लोगों की आंखों की रोशनी लौटाई गई है. अधिकारियों ने बताया कि अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में निश्शुल्क सर्जरी से एक वर्ष में 90 हजार से अधिक मोतियाबिंद रोगियों की आंखों की रोशनी लौटी है. इसमें सफेद मोतियाबिंद के 85,178 व ग्लोकोमा (काला मोतियाबिंद) के 5,069 लोग शामिल हैं. नेत्र विशेषज्ञ डा. दिनेश मिश्रा ने कहा, मोबाइल या कंप्यूटर पर बिना ब्रेक के लगातार पढऩा ठीक नहीं है. इससे बच्चों की आंखों में तनाव और सिरदर्द होता है. कोरोना काल में बच्चे बाहर खेल भी नहीं पा रहे थे. इसके कारण बच्चों की आंखों की रोशनी में प्रभाव पड़ा है. इससे बचने के लिए केवल 20 मिनट तक ही बच्चों को मोबाइल और कंप्यूटर पर पढऩा चाहिए, फिर ब्रेक लेना चाहिए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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