नई दिल्ली. इंडिगो एयरलाइन पर रांची एयरपोर्ट पर एक दिव्यांग बच्चे को प्लेन में चढऩे से रोकने का मामले सामने आया है. इंडिगो एयरलाइन द्वारा दिव्यांग बच्चे को फ्लाइट में बोर्ड करने से मना करने के मामले में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संज्ञान लिया है और वे खुद इस मामले की जांच करेंगे. उन्होंने सोमवार को कहा कि किसी भी एयरलाइन कंपनी द्वारा यात्रियों के साथ इस तरह का बर्ताव बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. किसी भी व्यक्ति को इस तरह के हालात से नहीं गुजरना चाहिए. मैं इस मामले की जांच खुद कर रहा हूं, जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
बताया जा रहा है कि इंडिगो एयरलाइन के कर्मचारियों ने 7 मई को रांची एयरपोर्ट पर एक दिव्यांग बच्चे को विमान में चढऩे से रोक दिया. बच्चा अपने माता-पिता के साथ था. इस परिवार को हैदराबाद जाना था. एयरलाइन कंपनी द्वारा दिव्यांग बच्चे को प्लेन में बोर्ड होने से रोके जाने के बाद उसके माता-पिता भी उड़ान नहीं भर सके. इंडिगो ने इसका कारण बताया कि बच्चा विमान में यात्रा करने से घबरा रहा था. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय प्रमुख अरुण कुमार ने सोमवार को कहा कि विमानन नियामक द्वारा इस मामले पर इंडिगो से रिपोर्ट मांगी गई है. उन्होंने बताया कि डीजीसीए इस घटना की जांच कर रहा है और वह उचित कारज़्वाई करेगा.
जानकारी के अनुसार मनीषा गुप्ता नाम की एक यात्री ने लिंक्डइन पर इस घटना की विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि शनिवार को रांची हवाईअड्डे पर एक दिव्यांग किशोर को काफी असुविधा हुई. हवाईअड्डे तक की यात्रा से हुई थकावट और फिर सुरक्षा जांच के तनाव से वह भूखा, प्यासा, बेचैन और भ्रमित हो गया. उसके माता-पिता जाहिर तौर पर जानते थे कि उसे कैसे संभालना है. धैर्य के साथ, गले लगाकर.
मनीषा गुप्ता ने बताया कि जब तक विमान में सवार होने की प्रक्रिया शुरू हुई तब तक बच्चे को खाना खिला दिया गया और उसकी दवाएं दे दी गयीं. फिर हमने क्रूर ताकत का पूरा प्रदर्शन देखा. इंडिगो कर्मियों ने घोषणा की कि बच्चे को विमान में सवार नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि उससे अन्य यात्रियों को खतरा है. अन्य यात्रियों ने दृढ़ता से इसका विरोध किया और उन्होंने मांग की कि बच्चे और उसके माता-पिता को जल्द से जल्द विमान में सवार होने दिया जाए. कई यात्रियों ने इंडिगो के फैसले को नियम पुस्तिका में लिखे बयानों के आधार पर चुनौती दी.
महिला यात्री ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर समाचार लेख और ट्वीटर पोस्ट दिखाए कि कोई भी एयरलाइन दिव्यांग यात्रियों के खिलाफ भेदभाव नहीं कर सकती. चिकित्सकों का एक दल भी इसी विमान में सवार था. उन्होंने बच्चे तथा उसके माता-पिता को बीच रास्ते में कोई दिक्कत होने पर पूरी सहायता देने की पेशकश की. इसके बावजूद इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान में सवार होने से रोकने का अपना निर्णय नहीं बदला. घटना के बारे में पूछे जाने पर इंडिगो ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए, एक दिव्यांग बच्चा 7 मई को अपने परिवार के साथ उड़ान में सवार नहीं हो सका, क्योंकि वह घबराया हुआ था.
वहीं इंडिगो एयरलाइन की ओर से बताया गया कि उसके कर्मचारियों ने आखिरी समय तक बच्चे के शांत होने का इंतजार किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एयरलाइन कंपनी ने बच्चे और उसके अभिभावकों को होटल में ठहरने की सुविधा दी और उन्होंने अगली सुबह अपने गंतव्य के लिए उड़ान भरी. इंडिगो ने कहा कि हमें यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद है. इंडिगो एक समावेशी संगठन होने पर गर्व करता है, चाहे वह कर्मचारियों के लिए हो या उसके ग्राहकों के लिए और 75,000 से अधिक दिव्यांग यात्री हर महीने इंडिगो के साथ उड़ान भरते हैं.
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