नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली के ऊपर नया खतरा मंडराने लगा है. इन दिनों राजधानी दिल्ली और उसके आसपास प्रचंड गर्मी पडऩें के साथ ही इन इलाकों में एक अलग तरह का प्रदूषण बेहद तेजी से बढ़ रहा है. ये प्रदूषण है ग्राउंड लेवल ओजोन का. दिल्ली के कई इलाकों में ये सुरक्षित स्तर से लगभग दोगुना हो गया है. वैज्ञानिक इसे एक बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार ओजोन गैस तब पैदा होती है, जब नाइट्रोजन के ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक तेज गर्मी के संपर्क में आते हैं. ऐसा ज्यादातर उन इलाकों में होता है, जहां ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है या फैक्ट्रियां होती हैं. इसे उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक माना जाता है जिन्हें अस्थमा या सांस संबंधी बीमारियां होती हैं. दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी के डेटा के अनुसार अप्रैल के आखिरी सप्ताह 24 से 30 अप्रैल के 7 में से 6 दिनों तक दिल्ली के 6 इलाकों में ये ओजोन के सुरक्षित स्तर से कहीं ज्यादा रहा. इन दिनों तापमान भी 43 से 47 डिग्री तक हो गया था, जबकि औसतन सामान्य तापमान 38 डिग्री सेल्सियस होता है.
डीपीसीसी के अनुसार ओजोन को 8 घंटे के पैमाने पर मापा जाता है. इस दौरान इसे 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए. लेकिन दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, करणी सिंह शूटिंग रेंज, नेहरू नगर, मंदिर मार्ग, आरके पुरम और नरेला में अप्रैल के आखिरी सप्ताह के 7 में से 6 दिन ये उससे कहीं ज्यादा देखा गया. औद्योगिक एरिया मुंडका में 7 में से 5 दिन और अरबिंदो मार्ग पर 7 में से 3 दिन इसने रिकॉर्ड तोड़ा.
आंकड़ों के अनुसार इस सप्ताह के दौरान सबसे ज्यादा ओजोन का स्तर नेहरू स्टेडियम इलाके में देखा गया. वहां ये 199.8 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया, सामान्य से लगभग दोगुना. करणी सिंह शूटिंग रेज में ये 188.4 माइक्रोग्राम रहा. अगर एक घंटे के पैमाने पर देखें तो इन दोनों जगहों पर ओजोन का लेवल क्रमश: 251 और 195.9 माइक्रोग्राम रहा. लाजपत नगर के नजदीक नेहरू नगर में ये 238 माइक्रोग्राम मापा गया. इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह तेज गमीज़् और ट्रैफिक थी.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एयर लैब के पूर्व प्रमुख दीपांकर साहा ने बताया कि ओजोन का स्तर दिन में उस समय सबसे ज्यादा होता है, जब तेज गर्मी होती है और आसमान साफ रहता है. प्रदूषण कम होने से सूरज की किरणें वातावरण में अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं और नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स के साथ मिलकर ओजोन पैदा करती हैं. साहा ने आशंका जताई कि मई और जून के महीने में ओजोन का लेवल इससे भी कहीं ज्यादा हो सकता है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की पिछले साल हुई स्टडी से पता चला था कि दिल्ली में ओजोन अब साल भर चलने वाली समस्या बन गया है. पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषणकारी तत्व हवा में कम हों, तब भी ओजोन सेहत के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है.
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