नई दिल्ली. जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को लेकर एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को मानने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं. केंद्र सरकार और राज्यों के पास जीएसटी पर कानून बनाने का एक बराबर अधिकार है.
एक रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है. पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जीएसटी काउंसिल को केंद्र और राज्यों के बीच व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए. जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें सहयोगात्मक चर्चा का नतीजा है. ये जरूरी नहीं है कि संघीय इकाइयों में से एक के पास हमेशा अधिक हिस्सेदारी हो.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें मानने के लिए केंद्र और राज्य सरकार बाध्य नहीं है. इसका कार्य केवल प्रोत्साहित करने वाला या प्रेरणा देने वाला है. अदालत ने कहा है कि जीएसटी में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जिससे केंद्र और राज्यों के बनाए कानूनों में विभिन्नता पाए जाने पर कोई समाधान हो सके. अगर ऐसी कोई परिस्थिति आती है तो जीएसटी काउंसिल उन्हें उचित सलाह देती है.
गुजरात हाईकोर्ट ने 2020 में रिवर्स चार्ज के तहत समुद्री माल आयातकों पर आईजीएसटी लगाने के फैसले को रद्द कर दिया था. सरकार ने 5 प्रतिशत आईजीएसटी लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसे गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी अब गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.
जीएसटी परिषद एक मुख्य फैसला लेने वाली एक संस्था है जो की जीएसटी कानून के तहत होने वाले कायोज़्ं के संबंध में सभी जरूरी फैसले लेती है. जीएसटी काउंसिल की जिम्मेदारी पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक ही कर निर्धारित करना है. जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं और राज्यों के वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल के सदस्य हैं. एक जुलाई 2022 को जीएसटी को लागू हुए पांच साल हो जायेंगे. 1 जुलाई 2017 से जीएसटी कानून को पूरे देश में लागू किया गया था. एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और सेल्स टैक्स को मिलाकर एक टैक्स जीएसटी बनाया गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट में अब कल सुनवाई, वाराणसी कोर्ट से 20 मई तक सुनवाई नहीं करने का दिया आदेश
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