भोपाल. मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए टिकट के लिए मची होड़ के बीच बगावत के डर से प्रदेश कांग्रेस ने अपने ही एक फैसले से पलटी मार दी है. कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए शपथ पत्र भरना अनिवार्य नहीं रहेगा. पार्टी ने बगावत रोकने के लिए शपथ पत्र भरवाने का फैसला लिया था. लेकिन इसका अंदरूनी विरोध शुरू हो गया था.
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने शपथ पत्र के बारे में कहा कि भोपाल की समिति ने नया प्रयोग करने की कोशिश की थी. हाईकमान से चर्चा के बाद फैसला वापस ले लिया गया है. हाईकमान ने इस तरह के प्रयोग की जरूरत नहीं समझी. पार्टी अब सीधे संवाद के जरिए टिकट देगी. वर्मा ने जानकारी दी कि वचन पत्र के साथ हम सरकार के खिलाफ आरोप पत्र भी लेकर आएंगे.
शपथ पत्र के लिए पार्टी ने बकायदा फॉर्मेट तैयार किया है. पार्टी की जिला बैठक में दावेदारों को फार्मेट में जानकारी दी जा रही है और साथ ही शपथ पत्र भी भरवाया जा रहा था. कांग्रेस के भोपाल जिला अध्यक्ष कैलाश मिश्रा का कहना है निकाय चुनाव के दौरान पार्टी के आंतरिक खतरे यानी असंतोष रोकने के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है.
दरअसल नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को अपनों के बागी होने का डर सताने लगा है. इसलिए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं में असंतोष रोकने के लिए लिखित सहमति लेने का तरीका निकाला है. पार्षद के लिए दावेदारी जताने वाले कार्यकर्ताओं से शपथ पत्र लेने का फैसला किया था.
बताया जा रहा है कि शपथ पत्र में वादा करवाया जा रहा था कि यदि उनसे ज्यादा योग्य कोई उम्मीदवार होगा तो दावेदार निर्दलीय तौर पर नामांकन दाखिल नहीं करेगा. कांग्रेस इस शपथ पत्र के प्रयोग को एक फार्मूले के तौर पर लागू करना चाहती थी. लेकिन कांग्रेस के अंदर ही इस फार्मूले को लेकर विरोध शुरू हो गया था. यही कारण है कि पार्टी अपने ही फैसले पर बैकफुट पर चली गयी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कांग्रेस नेता ने गोली मारकर की पत्नी की हत्या, सिर से खून का फव्वारा निकलते देख चीख पड़े बच्चे..!
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