नई दिल्ली. रेलवे ने दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता मेन लाइन पर रेल प्रोटेक्शन सिस्टम कवच लगाने का निर्णय लिया है. कुल दूरी 3000 किलोमीटर होगी. एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक, कवच के इंस्टॉलेशन पर कुल 1000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसका मकसद ट्रेन ऑपरेशन्स को फूल प्रूफ सिक्योरिटी देना है. इससे एक ही पटरी पर आने वाली दो ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकेगा. ऐसा करने से यात्री अब और ज्यादा सुरक्षित रह सकेंगे. इसे मिशन रफ्तार के तहत लगाया जाएगा.
हजारों साल में एक बार ही खराब होगा कवच
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक- इस कवच सिस्टम के 10 हजार साल में एक बार ही खराब होने की संभावना है. आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए 2,000 किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाएगा. अभी कवच को 1098 किमी रूट पर दक्षिण सेंट्रल रेलवे में लगाया गया है. हर साल करीब 4000 से 5000 किलोमीटर रेल रूट पर कवच को लगाने का लक्ष्य है.
760 रेल इंजनों में फिट किया जाएगा कवच
रेलवे ने 3000 किमी से ज्यादा और 760 रेल इंजनों में इस तकनीक को फिट करने के लिए 11 टेंडर मंगाए हैं. दोनों ट्रेनों के लिए ट्रांसमीटरों को लोको के अंदर फिट किया जाएगा. ताकि दोनों लोको पायलट ब्रेक को कंट्रोल करने के लिए अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके लगातार एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकें. इंजन के अंदर इस तकनीक को फिट करने की लागत 60 लाख रुपए प्रति लोको होगी.
रेल कवच प्रणाली को समझे
एंटी ट्रेन कॉलिजन टेक्नोलॉजी या रेल कवच तकनीक दुनिया की सबसे सस्ती और एक स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (्रञ्जक्क) सिस्टम है. कवच ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए है. यदि ट्रेन ड्राइवर स्पीड लिमिट में नाकाम रहता है तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमैटिकली एक्टिव कर देता है. इसके अलावा एक ही ट्रैक पर आ गए दो इंजनों के बीच टक्कर होने से भी रोक देता है.
रेल मंत्री की मौजूदगी में हो चुका है ट्रायल
भारतीय रेलवे द्वारा इन दिनों रेल परिचालन को सुरक्षित करने और जीरो एक्सीडेंट मिशन के तहत बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. इसी के तहत इसी महीने चार मार्च को रेल एक्सिडेंट और टक्कर को टालने के लिए कवच तकनीक का ट्रायल किया गया था. इसका ट्रायल पहले ही हैदराबाद में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मौजूदगी में हो चुका है. इसमें दो ट्रेनों को आमने-सामने एक ही ट्रैक पर चलाया गया. इसमें से एक ट्रेन में रेल मंत्री भी सवार थे. कवच तकनीक ने दोनों ट्रेनों के टक्कर को समय रहते रोक दिया गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कानपुर में कलयुगी मां ने रेलवे स्टेशन पर रेता अपने 1 साल के बच्चे का गला
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