मुंबई. आल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन की मुंबई में आज 16 मई गुरूवार को आयोजित नेशनल वर्किंग कमेटी की मीटिंग में एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री व वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के महामंत्री कॉमरेड मुकेश गालव ने काफी ओजस्वी भाषण देते हुए केंद्र सरकार की रेलवे के निजीकरण, पदों के सरेंडीकरण, न्यू पेंशन स्कीम को हटाकर गारंटेड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग करते हुए सरकार को चेताया कि यदि वह रेल कर्मचारियों की मांगें नहीं मानती है और अपनी जिद पर कायम रहती है तो भारतीय रेलवे के साढ़े 14 लाख कर्मचारी आर-पार के संघर्ष के लिए तैयार हैं. इस मौके पर एआईआरएफ के महासचिव काम. शिवगोपाल मिश्रा सहित तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे. इससे पहले महामंत्री श्री गालव का रेल कर्मचारियों की ओर से स्वागत भी किया गया.
अपने उद्बोधन में काम. मुकेश गालव ने रेलवे के निजीकरण की सरकार की योजना पर प्रहार करते हुए कहा कि एआईआरएफ व उससे संबंद्ध तमाम यूनियंस द्वारा जो दबाव बनाया गया, उसी का परिणाम है कि रेलों के निजीकरण की रफ्तार काफी धीमी पड़ चुकी है, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं है, किसी भी कीमत पर निजी रेल को नहीं चलने देंगे, चाहे इसके लिए किसी भी हद तक जाना क्यों न पड़े. फेडरेशन ने इस संबंध में सरकार को अवगत करा दिया है. श्री गालव ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम को सरकार को हटाना ही होगा, पूरी उम्र रेल सेवा करने के बाद कर्मचारी को यह नहीं पता कि उसे कितना पेंशन मिलेगा, वह अपना बाकी का जीवन गरिमापूर्ण ढंग से कैसे व्यतीत करेगा, यह चिंता इस समय तमाम युवा रेल कर्मचारियों के मन में चल रही है. फेडरेशन का संकल्प है कि वह एनपीएस को हटाकर ही दम लेगी, इसके लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने का काम किया जा रहा है. श्री गालव ने रेलवे में पदों के सरेण्डीकरण का भी जमकर विरोध किया और कहा कि इससे काम का बोझ स्टाफ पर बढ़ रहा है, जो तनाव का कारण है. रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कानपुर में कलयुगी मां ने रेलवे स्टेशन पर रेता अपने 1 साल के बच्चे का गला
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