प्रदीप द्विवेदी ( [email protected] ). कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी का समय बदल रहा है, इस साल उन्हें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विरोधियों के षड्यंत्रों से बच कर रहना होगा, सतर्क रहना होगा, तो अगले साल से चमकेंगे सियासत के सितारे!
पल-पल इंडिया में 30 जुलाई 2017 को- 2023 तक नरेन्द्र मोदी को केंद्र की गद्दी से उतारना आसान नहीं! में लिखा था....
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सितारे भी पटरी पर आ रहे हैं और अक्टूबर 2017 के बाद उनकी कामयाबी की कहानी शुरू हो सकती है, लेकिन... सन् 2023 के बाद गांधी देश की राजनीति में अपनी विशेष जगह बनाने में कामयाब रहेंगे!
पल-पल इंडिया में इसी तरह 4 नवंबर 2019 को- सियासी चतुराई के अभाव में राहुल गांधी कामयाब नहीं हो पा रहे हैं? में लिखा था....
कौन बनेगा प्रधानमंत्री? के लिए की गई ज्यादातर भविष्यवाणियां इसीलिए गलत साबित होती रही है कि ज्योतिषी केवल उस वक्त के उम्मीदवारों को देखकर गणना करते हैं, जबकि किसी और के सितारे भी तो सबसे बुलंद हो सकते हैं? यदि ऐसा नहीं होता तो न ही एचडी देवगौड़ा पीएम बनते और न ही पीवी नरसिंव्हाराव, नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनते!
राहुल गांधी की राजनीतिक कामयाबी में और भी कई बाधाएं हैं....
एक- सियासी चतुराई का अभाव! पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद हार की जिम्मेदारी स्वयं पर लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया? तीन राज्यों के चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तो ऐसा नहीं किया था! उनकी टीम अपनी हार दूसरों के सियासी खाते में और दूसरों की कामयाबी अपने राजनीतिक खाते में डलवाने की सियासी चतुराई रखती है? यदि किसी राज्य में जीत मिले तो वह पीएम मोदी के कारण होती है और यदि हार मिले तो उस राज्य के मुख्यमंत्री के कारण होती है!
दो- उनमें राजनीतिक क्रूरता का भी अभाव है? जिसके कारण संगठन पर उनकी सशक्त पकड़ नहीं बन पाई और विरोधी भी उनके लिए कुछ भी बोल देते हैं!
तीन- वे सियासी सच्चाई को भी ठीक से स्थापित नहीं कर पाए, जबकि विरोधी कईं झूठ को भी चतुराई से सच में बदलते गए?
चार- उन्हें अज्ञानी साबित करने का अभियान कईं वर्षों से चल रहा है, लिहाजा उनके सच्चे बहुत कम और झूठे बहुत ज्यादा किस्से सोशल मीडिया पर खूब चलते रहे हैं.
पांच- आजकल सियासत में पॉलिटिकल हूटिंग का रोल बढ़ गया है, इस मोर्चे पर तो राहुल गांधी कमजोर हैं ही, कांग्रेस के पास समर्पित सक्रिय समर्थकों का भी अभाव है, इसलिए बीजेपी को जहां भी नाकामयाबी मिलती है, या तो पब्लिक की नाराजगी के कारण मिलती है या फिर बागियों के कारण मिलती है?
लेकिन, फिर भी सियासी सयानों का मानना है कि कोई कितना ही चतुर हो, समय की मार से बचना संभव नहीं है, कवि प्रदीप कह भी गए हैं कि....
कोई लाख करे चतुराई, करम का लेख मिटे ना रे भाई!
वह समय ही था जिसने अर्जुन जैसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा को हथियार डालने को विवश कर दिया था और तब चले थे, समय के व्यंग्यबाण....
समय पुरुष बलहीन है, समय पुरुष बलवान!
वही अर्जुन का धनुष था, वही अर्जुन के बाण!!
https://twitter.com/RahulGandhi
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