नई दिल्ली. इंडियन बैंक ने एक गर्भवती महिला को अनफिट बताते हुए उसे ड्यूटी के लिए अस्थाई रूप से अयोग्य करार दिया है. जिस पर कार्यवाही करते हुए दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने बैंक को नोटिस जारी कर उससे अपने इस दिशा-निर्देश को वापस लेने को कहा है.
बैंक के निर्देश के अनुसार, ऐसी कोई भी महिला जो 3 महीने या उससे अधिक की गर्भवती है वह जॉब के लिए अस्थाई रूप से अयोग्य है. बैंक का कहना है कि गर्भवती महिला के प्रसव के 6 हफ्ते बाद उसका मेडिकल चेकअप करवाया जाएगा जिसमें फिट पाए जाने पर उसे दोबारा पद दिया जाएगा.
इसी तरह एसबीआई ने भी जारी किया था निर्देश
इससे पहले जनवरी में एसबीआई भी इस तरह का निर्देश जारी कर चुका है. हालांकि, इस प्रावधान को श्रमिक संगठनों और दिल्ली के महिला आयोग समेत समाज के कई तबकों ने महिला-विरोधी बताते हुए निरस्त करने की मांग की थी. इसके बाद एसबीआई को इस नियम को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था. बैंक ने कहा था कि आम लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए भर्ती संबंधी नए निर्देशों को स्थगित कर दिया है.
भेदभावपूर्ण और अवैध
डीसीडब्ल्यू ने अपने नोटिस में कहा कि इंडियन बैंक का यह कदम भेदभावपूर्ण और अवैध है क्योंकि यह सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत प्रदान किए गए मातृत्व लाभों के विपरीत है. डीसीडब्ल्यू ने इसे लिंग के आधार पर भी भेदभाव बताते हुए कहा है कि यह संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. डीसीडब्ल्यू ने एक बयान में बताया कि उसने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक को भी पत्र लिखा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली से जबलपुर के लिए उड़े स्पाइसजेट के विमान की इमरजेंसी लैडिंग
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