योग, दोष और ज्योतिष

योग, दोष और ज्योतिष

प्रेषित समय :21:07:07 PM / Wed, Jun 22nd, 2022

कुंडली में बनने वाले योग प्राकृतिक हैं और दोष कृत्रिम है, मानव के द्वारा बनाए हुए.अगर एक व्यक्ति महाधूर्त भी है तो वह पूरी दुनिया के लिए धूर्त हो सकता है, किन्तु खुद के लिए नहीं| .....और दुनिया में भी जरूरी नहीं कि वह हर व्यक्ति के लिए धूर्त ही हो| उसके भी कुछ अपने मित्र होंगे, उसके भी कुछ प्रियजन होंगे, उसके भी कुछ ऐसे लोग होंगे, जिनकी वजह से वो धूर्तता करके जीवनयापन कर रहा होगा.

मानना यह है कि आपकी कुंडली में जो भी ग्रह या युतियाँ बनती हैं, वह आपकी रक्षा के लिए ही बनती हैं, ताकि आप विपरीत परिस्थितियों में भी अपना जीवन आसानी से जी सकें.

कई बार आपने देखा होगा किसी व्यक्ति के साथ कोई हादसा हो जाता है वह उस हादसे के लिए भगवान को बहुत ज्यादा कोसता है| ..... लेकिन 5 साल बाद, 10 साल बाद, 15 साल बाद या 20 साल बाद जब वह उस घटना के प्रभाव से पूरी तरह बाहर निकल आता है और उसके साथ कोई बहुत अच्छी घटना घटती है, तब वह फिर से सोचता है तो पता चलता है कि उस घटना की वजह से ही उसके जीवन में काफी बदलाव आया| अगर वह बुरी घटना नहीं घटती तो मुमकिन है वो वहाँ नहीं होता, जहाँ वह अभी है.

कुछ युतियों के आधार पर इसे समझने की कोशिश करते हैं| चंद्रमा जब भी राहु, केतु या सूर्य के साथ युति बनाता है तो ऐसा व्यक्ति बहुत अधिक सोचने वाला होता है| उसे छोटी- छोटी बातों पर गहन चिंतन की आदत या टेंशन लेने की आदत होती है| .....लेकिन आप पायेंगे कि जितने भी महान वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्होंने भी नई खोजे की हैं, वह इसलिए खोज पाये क्योंकि उन्होंने किसी चीज को लेकर गहन चिंतन किया.

चंद्रमा के साथ केतु की युति व्यक्ति को बहुत ज्यादा भावुक और दयालु बनाती है| यूँ तो यह एक तरह से ग्रहण योग भी है, लेकिन अगर आप इसका सकारात्मक पहलू देखेंगे, तो आप पाएंगे जितने भी अच्छे कलाकार हुए हैं या जितने भी अच्छे डॉक्टर और नर्स हुई हैं उनका एक मानवतावादी पहलू जरूर होता है| उस गुण के होने से ही वह समाज के हर तबके के व्यक्ति के साथ एकदम जुड़ते हैं और यही गुण उनकी सफलता का कारण बनता है.

यूँ तो मांगलिक योग (जिसे दोष बोलकर काफी डराया जाता है) पर एक अलग से लेख लिखा जा सकता है, मगर मेरी कोशिश रहेगी कि कम से कम शब्दों में उसने बेहतर तरीके से समझाया जा सकें | इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर किसी जातक के सातवें या आठवें भाव में मंगल होता है तो उसे क्रमशः सप्तमंगली एवं अष्टमंगली कहा जाता है|  ऐसा जातक जीवनसाथी के लिए अच्छा नहीं समझा जाता लेकिन इसका सकारात्मक पहलू यह भी है कि जिसके सातवें भाव में मंगल होता है, उसका मंगल सातवी दृष्टि से लग्न को देखता है और ऐसा व्यक्ति दृढ़ निश्चय ही होता है| वह जो ठान लेता है वह करके ही रहता है| जब जातक के आठवें भाव में मंगल बैठता है तो वह उसके तीसरे भाव यानी पराक्रम भाव देखता है| ऐसा व्यक्ति बहुत ज्यादा पराक्रमी (संघर्षशील) होता है| वह किसी भी तरह की परिस्थितियों में हार नहीं मानता. 

मैंने ऐसे बहुत से लोगों को अपने निजी जीवन में देखा है जो मांगलिक थे| .....लेकिन उनका विवाह मांगलिक व्यक्ति से नहीं हुआ, फिर भी आज वह एक सुखमय वैवाहिक जीवन जी रहे हैं| वहीं दूसरी तरफ मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ, जिनके गुण बहुत ज्यादा मिले, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन बहुत ही ज्यादा बदहाल है.

दोष और योग ज्यादातर आपकी दृष्टि पर भी निर्भर करता है| अगर आपका चीजों को देखने का तरीका सकारात्मक है तो आपको हर जगह अच्छी चीजें दिखेंगी| अगर आपका चीजों को देखने का तरीका नकारात्मक है तो आपको हर जगह गलत चीजें ही दिखेंगी|  पहलवान का बेटा अगर म्यूजिक टीचर बनना चाहें तो पहलवान को लगेगा इसकी कुंडली में कोई दोष है, उसी तरह अगर एक म्यूजिक टीचर का बेटा पहलवान बनने का सपना देखे, तो उसे लगेगा उसकी कुंडली में कोई दोष है.

भगवान के मास्टर प्लान पर भरोसा कीजिये, वह जो करते हैं आपके भले के लिए ही करते हैं| भगवान का आशीर्वाद हो तो 16 वर्ष की आयु लिखाकर लाने वाला बालक मार्कण्डेय भी मार्कण्डेय ऋषि बनकर यश पाते हैं, इतना यश कि इतने युग बीतने के बाद भी बच्चों की दीर्घायु के लिए बच्चों के जन्मदिन पर मार्कण्डेय पूजा करवाई जाती है|
विपुल जोशीज्योतिषीय उपाय (ग्रह और आप )

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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