पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में कभी कांग्रेस में गुटबाजी का बोलबाला था, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलता रहा, लेकिन आज ऐसा ही कुछ हाल भाजपा का है, भाजपा में महापौर प्रत्याशी के जनसंपर्क में कहने के लिए नेता तो बहुत है जो साथ में चल रहे है लेकिन उन नेताओं की उपस्थिति दिखाई नहीं दे रही है जो महापौर पद के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कर सके, हालांकि भाजपा में कार्यकर्ता जरुर अपने प्रत्याशी को जिताने को हर संभव प्रयास कर रहा है.
बताया जाता है कि भाजपा में इस बार प्रत्याशी को लेकर काफी कशमकश रही, अंतिम दौर में महापौर पद के प्रत्याशी के रुप में डाक्टर जितेन्द्र जामदार का नाम सामने आया, डाक्टर जामदार का नाम सामने के बाद वे वरिष्ठ नेता खिन्न हो गए, जो जमीनी स्तर पर भाजपा की सेवा करते हुए आगे आए है, फिर इस बात का हल्ला भी उड़ गया कि वे भाजपा छोड़कर जा सकते है लेकिन संगठन के प्रति निष्ठा के चलते वे पार्टी के साथ ही रहे, उन्होने अपने बयान तक जारी कर कहा कि वे पार्टी के साथ है, आज वे पार्टी के साथ तो है लेकिन महापौर पद के प्रत्याशी के साथ नहीं है, भाजपा प्रत्याशी डाक्टर जामदार अपने धुआंधार जनसंपर्क में तो जुटे है लेकिन उन नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है जिनके प्रभाव से प्रत्याशी के पक्ष में वोट पड़े, जिससे यह बात तो साफ है कि इस चुनाव में गुटबाजी का असर दिखाई दे रहा है, वरिष्ठ नेता कहने को अपने स्तर पर पार्टी को जीत दिलाने के लिए सक्रिय है लेकिन डाक्टर जामदार के साथ नहीं है, इनकी सक्रियता कहां असर दिखाती है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगी. क्योंकि कुछ नेता तो अपने पार्षद पद के प्रत्याशियों को जिताने में जुटे है, जहां पर उन्होने मेहनत करके टिकट दिलाई है, या फिर भाजपा के बागी चुनाव में खड़े हो गए है और कहीं न कहीं भाजपा को नुकसान हो का अंदेशा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में वेंटिलेटर में मना बच्चे का जन्मदिन, सोशल मीडिया में वायरल हुई फोटो
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