दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई शुरू हुई है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएल नरसिम्हा की बेंच कर रही है. कोर्ट में मस्जिद कमेटी की तरफ से बताया गया कि रूल 7/11 के तहत निचली अदालत में बहस चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को कहा कि निचली कोर्ट का आदेश आने दीजिए. आपके कानूनी रास्ते को हम खुला रखेंगे. मान लीजिए अगर निचली अदालत फैसला आपके खिलाफ जाता है तो फिर आपके पास कानूनी विकल्प है.
सुनवाई के दौरान अहमदी मस्जिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सर्वे कमीशन की नियुक्ति को लेकर भी बहस की. इस दौरान उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस मामले में कमिश्नर की नियुक्ति सही नहीं हैं. ये कमिश्नर की नियुक्ति का मामला नहीं है. हाई कोर्ट का कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश सही नहीं था. इसके बाद हुजेफा अहमदी ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने से जुड़े कानूनी प्रावधान पढ़कर सुनाया. हुजेफा अहमदी ने कहा कि अगर हम साबित कर देते हैं कि कमिश्नर की नियुक्ति ही नहीं होनी चाहिए थी, तो उसकी रिपोर्ट रिकॉर्ड से हटा दी जानी चाहिए. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 7-11 स्पष्ट है और निचली अदालत में कार्यवाही जारी है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम निचली अदालत को निर्देश जारी करते हैं कि वह प्राथमिकता पर सुनवाई पूरी कर निर्णय ले. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कमिश्नर की रिपोर्ट को लेकर बात कर रहे है. जब ट्रॉयल कोर्ट के समक्ष कमिश्नर की रिपोर्ट को कंसीडर किया जाएगा तब भी आप अपनी बात रख सकते है. इसके अलावा कोर्ट ने सवाल किया कि आपकी आपत्ति है कि कमिश्नर बिना आपकी सहमति के नियुक्त हुए है? इस पर अधिवक्ता अहमदी ने कहा कि हमने पहले आपत्ति दर्ज करायी थी, कमीशन की नियुक्ति को लेकर. फिर निचली अदालत ने उसे खारिज किया, फिर हम हाई कोर्ट गए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम निचली अदालत को कहेंगे कि सुनवाई के दौरान वो हाई कोर्ट के आदेश से बिना प्रभावित मामले की सुनवाई करे. ऐसे में आपकी याचिका अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित रखने का क्या मतलब है? इस पर अहमदी ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की जरूरत है. हमने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. हम अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखेंगे. इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने मस्जिद पक्ष के पैरोकार हुजैफा अहमदी से पूछा कि क्या आपने कमिश्नर नियुक्ति सहित अन्य मसलों पर अपनी आपत्ति जिला जज को दी है?
इस पर हिंदू पक्षकारों के सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि वहां अभी ये मसला ही नहीं है. इनको कमिश्नर की नियुक्ति के कोर्ट के अधिकार को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मस्जिद पक्ष की याचिका का निस्तारण नहीं कर रहे हैं. सबसे पहले आर्डर 7 रूल 11 पर निचली अदालत को फैसला करने दिया जाए. अक्टूबर में इस मामले की सुनवाई की जाएगी.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में दायर दूसरी अर्जी पर सुनवाई की, जिसमें पूजा करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि वो सावन के महीने में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहते है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी सूट लंबित है. हम ऐसे में कैसे आपको सुनें. आप अपनी याचिका वापस लें.
इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को लेकर वकील हरिशंकर जैन ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की एएसआई से कार्बन डेटिंग करायी जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि आप एक समझदार वकील हैं, आप जो याचिका में मांग कर रहे है वो आप सूट पर बहस के सुनवाई के दौरान मांग कर सकते हैं. आप अनुच्छेद 32 के तहत मांग नहीं कर सकते. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका को वापस ले रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली हाईकोर्ट में होगी अग्निपथ योजना के खिलाफ सभी याचिकाओं की सुनवाई
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