शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते

शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते

प्रेषित समय :21:28:40 PM / Mon, Aug 1st, 2022

जन्म कुण्डली में शनि पहले, चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होते हैं उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है.
यह एक प्रकार का राजयोग है शनि अगर तुला राशि में भी बैठे हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च के होते हैं.
मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है.
अगर आपकी कुण्डली में शनि का यह योग नहीं बन रहा है तो कोई बात नहीं आपका जन्म तुला या वृश्चिक लग्न में हुआ है और शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब आप भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
गुरु की राशि धनु अथवा मीन में शनि पहले घर में बैठे हों तो व्यक्ति धनवान होता है शनि न्याय व स्थिरता के जबकि शुक्र वैभव और विलासिता प्रदान करने वाले ग्रह माने जाते हैं.
जब भी किसी की कुंडली में शनि-शुक्र का संबंध बनता है तो यह बहुत ही प्रभावशाली योग होता है कुंडली में शुक्र और शनि योग बनने पर और यह योग तुला लग्न या फिर वृष लग्न में बने तो बहुत ही शुभ माना गया है.
गुरु का प्रभाव यश एवं कीर्ति तथा शुभ कर्म करने वाले लोगों पर देखा जाता है अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत लोगों की कुंडली में बुध आदित्य योग जरूर होता है.
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम स्थान में सूर्य, मंगल या गुरु की दृष्टि पड़ रही होती है तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन जाता है.
अगर किसी का लग्न मेष, मिथुन, सिंह,
 वृश्चिक, वृष या तुला है तो सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग बनते हैं.
जब कुंडली में सूर्य, गुरु या चन्द्रमा एक साथ हो तो सरकारी नौकरी के लिए अच्छे योग बन जाते हैं.
जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर अपनी या अपनी मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसका भाग्य राजा के समान होता है ऐसा व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में जाता है.
यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो व्यक्ति राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो व्यक्ति के पुलिस या सेना के उच्च पद पर आसीन होने के संकेत मिलते हैं.
लग्न भाव का स्वामी (लग्नेश) अगर अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका रहती है. इस योग के चलते कोई विपरीत लिंग का व्यक्ति इन्हें भारी मुसीबत में डाल सकता है.
जब कुंडली में चंद्रमा किसी भाव में अकेला बैठा हो, उसके आगे यानि दूसरे और पीछे यानी की बारहवें स्थान पर कोई ग्रह न हो तो और न ही उस पर किसी ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो इसे केमद्रुम योग कहते हैं यह योग व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बनता है.
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु के साथ राहु बैठा हो तो, दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है चांडाल योग से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसके प्रभाव से ऋण में बढ़ोतरी होती है.
किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु-केतु बैठे हों तो यह स्थिति कुंडली में ग्रहण योग बनाती है इस योग के कारण जीवन में अस्थिरता आ जाती है व्यक्ति नौकरी-व्यापार में अस्थिरता के कारण परेशान रहता है.

मनोज कुमार गुप्ता

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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